MP News: संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- 'सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र और हिंदू संस्कृति है'
RSS Chief Mohan Bhagwat: आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि विश्व ने जब युद्ध करके जब वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश की, तब हमने युद्ध पीड़ितों को मरहम लगाया. सबसे ज्यादा सेवा हमारे संत करते हैं.
Mohan Bhagwat In Jabalpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एक बार फिर हिन्दू राष्ट्र और सनातन धर्म की व्याख्या की है. उन्होंने जबलपुर (Jabalpur) में एक कार्यक्रम में कहा है कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र और हिंदू संस्कृति है. भागवत ने कहा कि भारत (Bharat) विश्व गुरु बनने जा रहा है. आज हम ही क्या, सारी दुनिया कह रही है कि भारत होने वाली महाशक्ति है.
श्यामादेवाचार्य की पुण्यतिथि पर पहुंचे थे भागवत
संघ प्रमुख मोहन राव भागवत जबलपुर में ब्रह्मलीन जगतगुरु श्यामादेवाचार्य की द्वितीय पुण्यतिथि के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. यहां उन्होंने नरसिंह मंदिर में श्यामादेवाचार्य की प्रतिमा का अनावरण भी किया. इस मौके पर उन्होंने स्वामी श्यामदेवाचार्य जी को याद करते हुए कहा कि उनकी जैसी हस्तियां जाने के बाद भी पार्थिव रूप में हमारे साथ रहती हैं. मोहन राव भागवत मंगलवार की शाम को 4.45 बजे मानस भवन में रामानंदाचार्य के प्राकट्य के 723 वर्ष पूर्ण होने में आयोजित एक और कार्यक्रम में व्याख्यान देंगे.वे सोमवार की देर रात बुरहानपुर से जबलपुर पहुंचे थे.
'भारत का प्रयोजन खत्म नहीं हुआ'
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत वर्ष पहले भी था, आज भी है और बाद में भी रहेगा. हर राष्ट्र बनने का प्रयोजन पूरा करने के बाद देश अंतर्ध्यान हो जाते हैं. लेकिन, भारत का प्रयोजन खत्म नहीं हुआ है. मनुष्य सबसे दुर्बल है, लेकिन भगवान ने उसे बुद्धि दी, इसलिए वह सब प्राणियों का राजा है. मनुष्य सोचता है कि सब मिलकर रहें. मनुष्य ने समूह बनाए, जिन्हें कबीले कहा गया. कबीले लड़ते थे, रक्तपात होता था, इसलिए राजा बना दिया गया. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुसार अपने जीवन के तरीके को खड़ा करो, हम किसी को जीतेंगे नहीं, बदलेंगे नहीं. संतों के उपदेशों को ग्रहण करते हुए हम सब धर्म के मार्ग पर चलें, तब यह संभव है.
'हमने लगाया युद्ध पीड़ितों को मरहम'
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने आगे बोलते हुए कहा कि विश्व ने जब युद्ध करके जब अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश की, तब हमने युद्ध पीड़ितों को मरहम लगाया. दुनिया के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि सबसे ज्यादा सेवा हमारे संत करते हैं. मिशनरियों का बोलबाला है, लेकिन चेन्नई में 4 राज्यों ने समीक्षा की तो उजागर हुआ कि सबसे ज्यादा सेवा हमारे संत करते हैं.
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