Madhya Pradesh Health Services: भाजपा शासित मध्य प्रदेश को वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) एक मॉडल स्टेट के रूप में पेश करते हैं. इसके साथ ही प्रदेश में चहुमुखी विकास का दावा भी किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों के बिल्कुल ही उलट है. हालात ये है कि प्रदेश में बुनियादी स्वास्थ्य सेवा भी बदहाल है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)के सरकारी अस्पतालों में महज पांच प्रतिशत डॉक्टर ही स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मा संभाल रहे हैं, जबकि 95 प्रतिशत पद डॉक्टरों के खाली है. इस बात का खुलासा रूरल हेल्थ स्टैटिक्स (Rural Health Statistics 2021-2022) की  रिपोर्ट से हुआ है.


मध्य प्रदेश से बेहर है तेलंगाना की हालत
रूरल हेल्थ स्टैटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 95 प्रतिशत पद खाली है. इससे अच्छी स्थिति में तेलंगाना है. यहां 98 प्रतिशत पद डॉक्टरों के पद भरे हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश की हालत गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र से भी बदतर है. मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सर्जन, महिला, बाल रोग सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है. सीएम के जिले सिहोर के अस्पताल की हालत भी ठीक नहीं है. 


छोटी-छोटी बीमारी से पीड़ित को भेजा जाता है भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की स्वास्थ्य व्यवस्था भी बदहाल स्थिति में है. सीहोर जिले के सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं है. यहां सीहोर जिला अस्पताल सहित बुदनी, इछावर और आष्टा विधानसभा के सरकारी अस्पतालों में भी करीब 642 से अधिक डॉक्टरों की कमी है. सीहोर जिला अस्पताल में डॉक्टरों के 21 पद हैं, जिसमें से 11 पदों पर भी डॉक्टरों की  नियुक्ति है, जबकि 10 डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं.  अस्पताल में विषय विशेषज्ञों डॉक्टरों की कमी होने की वजह से कई बार छोटी-छोटी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी इलाज के लिए उन्हें राजधानी भोपाल के लिए रेफर करना पड़ रहा है.


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