Students Of Ukraine: यूक्रेन और रूस के बीच लगातार युद्ध जारी है. इसे लगभग एक साल बीत चुके हैं. लेकिन, अभी भी वहां के हालात सामान्य नहीं हुए हैं. पिछले साल फरवरी में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान करने के बाद यूक्रेन पर हमला बोल दिया था. जंग शुरू होने के बाद यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए भारत के लाखों छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर वापस लौटना पड़ा था.
एक साल पूरा होने वाला है जंग का
24 फरवरी 2023 को यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग को एक साल पूरा होने वाला है. इस कारण कई बच्चे जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए वह वापस नहीं जा पाए हैं. कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्होंने भविष्य बनाने के लिए अपनी जान को खतरे में डाल दिया है. आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए छात्रों ने अब यूक्रेन जाना शुरू भी कर दिया है. इसके चलते उनके परिवार जनों को हमेशा उनकी चिंता सताती रहती है.
युक्रेन वापस लौटा इंदौर का छात्र
इंदौर के देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ अखिलेश राव का पुत्र प्रणय राव पिछले चार वर्षों से यूक्रेन की टरनोपिल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. युद्ध के हालात निर्मित होने के बाद प्रणय जैसे-तैसे यूक्रेन से इंडिया अपने घर सकुशल आ गया था. वह अब दोबारा यूक्रेन अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लौट गया है.
जानिए, क्या कहते हैं पिता
प्रणय राव के पिता प्रोफेसर अखिलेश राव का कहना है कि हमने अपने बच्चे का भविष्य संवारने और उसने अपनी मेहनत से जो पढ़ाई की है वो व्यर्थ न हो इसके कारण वापस जंग के इन हालातों के बावजूद यूक्रेन भेजा है, ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सपना पूरा कर सके. उनके इस कदम के पीछे की एक मुख्य वजह उच्च शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियम है. इसकी वजह से कोई भी छात्र किसी अन्य देश में रहकर यदि अपनी पढ़ाई करता है तो उसे अपनी आगे की पढ़ाई भी वही से करनी होगी. वह अपनी आधी पढ़ाई भारत से नहीं कर सकता.
खारकीव से लौटा था वैभव बारचे
यूक्रेन से लौट कर इंडिया आए इंदौर निवासी वैभव बारचे का कहना है कि वह खारकीव के मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन की पढ़ाई कर रहा था. जब यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध चालू हुआ तो जहां वह रह रहा था, उसके पास ही कई बम आकर गिरे थे, जिससे काफ़ी नुकसान हुआ था. वह बताता है कि कई दिन तक तो उसे बंकरों में रहना पड़ा. वैभव ने बताया कि हम करीब 20 दोस्त थे. हम अपनी जान बचाकर कर वहा से आ पाए हैं. युद्ध चलते हुए अब एक साल बीत चुका है हम दोबारा इसलिए नहीं गए कि वह क्षेत्र युद्ध प्रभावित है. उसका कहना है कि जो लौट कर गए हैं, वह सेफ जगह पर थे. इसलिए लौट गए. हमने जो देखा है, वह भूल नहीं सकते. अब हिम्मत नही है कि दोबारा वहां जाए.
यूक्रेन से जॉर्जिया करा लिया कोर्स ट्रांसफर
वह बताता है कि इंडिया में एडमिशन नहीं मिलने के कारण यूक्रेन से जार्जिया ट्रांसफर करवा लिया है. अभी इंदौर में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है. क्लिनिकल प्रेक्टिस में काफी फर्क पड़ा है. इसके लिए इंदौर में एक हॉस्पिटल में आब्जर्वरशिप शुरू कर दी है, जैसे ही जार्जिया का प्रोसेस होगा, वैसे ही चले जाएंगे. यूक्रेन और जार्जिया में फीस में 800 डॉलर का डिस्काउंट दिया गया है. इंडियन करेंसी में करीब 56 हजार का फर्क आ रहा है. इंडिया हमें एडमिशन दे देता तो बहुत ही अच्छा होता. हम हमारे शहर में होते और हमारे पास इंडिया की डिग्री होती. हम तो यही चाहते हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच सब ठीक हो जाए.
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