Gwalior News: सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने 13 साल पहले 24 फरवरी, 2010 को इतिहास रच दिया था. ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में दोहरा शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर पहले बल्लेबाज बने. एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (ODI) में कीर्तिमान जड़ने पर ग्वालियर झूम उठा था. आज के दिन कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में मैच के लिए दक्षिण अफ्रीका की टीम होटल सेंट्रल पार्क में रुकी थी. भारत के क्रिकेट खिलाड़ी उषा किरण पैलेस होटल ठहरे थे. सीरीज का दूसरा मैच था. पहले मैच में भारत को महज एक रन से जीत मिली थी. इसलिए क्रिकेट प्रेमियों में टक्कर का मुकाबला होने की उम्मीद थी. सचिन तेंदुलकर लगातार खराब फॉर्म से गुजर रहे थे. आलोचक उनकी बल्लेबाजी पर भी सवाल उठ रहे थे.
नेट प्रैक्टिस में सचिन ने नहीं दिया था सवालों का जवाब
सचिन के सामने आलोचना का जवाब बल्ला से देने की चुनौती थी. नेट प्रैक्टिस में तेंदुलकर पत्रकारों के सवालों का जवाब दिए बिना खामोशी से चले गए. किसी को अंदाजा नहीं था कि सचिन के दिलो-दिमाग में इतिहास रचने की पटकथा लिखी जा रही है. कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था. दर्शक भारत की जीत की चाह में मैच देखने गए थे. पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं हुई. वीरेंद्र सहवाग महज नौ रन बनाकर पवेलियन लौट गए. उस समय तक टीम का स्कोर सिर्फ 25 रन था.
दर्शकों को धोनी की धुआंधार बैटिंग नहीं आ रही थी पसंद
सचिन तेंदुलकर कुछ और इरादे के साथ मैदान में उतरे थे. सामने थे अच्छे बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी. मैच में का रोमांचकारी नजारा था. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी तूफानी बल्लेबाजी की. उन्होंने 35 गेंद पर सात चौके और चार छक्के की मदद से 68 रन बनाए. धुआंधार बैटिंग के बावजूद रूप सिंह स्टेडियम में दर्शकों को चौके-छक्के पसंद नहीं आ रहे थे. सभी चाहते थे कि धोनी सचिन को स्ट्राइक दें और चिल्ला रहे थे धोनी बैटिंग सचिन को दो. सचिन विश्व इतिहास रचने के मुहाने पर खड़े थे. उनके बल्ले से 199 रन बन चुका था. दर्शकों की मांग थी कि धोनी सचिन को दोहरा शतक पूरा करने के लिए स्ट्राइक दें.
50वें ओवर की तीसरी गेंद पर दोहरे शतक से कीर्तिमान
आखिरकार 50वें ओवर की तीसरी गेंद पर ऐतिहासिक लम्हा आ गया. सचिन ने लैंगलवेल्ट की गेंद को प्वाइंट की दिशा में खेलकर एक रन लिया और वनडे क्रिकेट के इतिहास का दोहरा शतक बना दिया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 147 गेंदों पर 200 रन बनाए थे. उनकी पारी में 25 चौके और तीन छक्के शामिल थे. सचिन की शानदार पारी की बदौलत भारत ने 401 रन बनाकर मैच 153 रनों से जीता था. इतिहास बनने पर पत्रकार मीडिया गैलरी से निकलकर स्टेडियम की तरफ बाहर दौड़े. ग्वालियर में जश्न का माहौल बन गया.
स्टेडियम के गेट पर संयोगवश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की गाड़ी सामने आकर रुकी. उनके साथ कैलाश विजयवर्गीय भी उतरे. शिवराज बहुत खुश और प्रफुल्लित नजर आ रहे थे. पत्रकारों ने माइक आईडी उनके सामने लगा दी. शिवराज सिंह अंदर जाकर मैच देखने को ब्याकुल थे और पत्रकार ऐतिहासिक घटना पर पहली प्रतिक्रिया जानने को बेताब थे. शिवराज बगैर सवाल के जवाब दिया-सचिन क्रिकेट के भगवान हैं. आज इतिहास बनाने पर सचिन को बधाई देते हैं.
मध्य प्रदेश वासियों को गौरव मिलने पर हम सब आभारी हैं. मुख्यमंत्री की बगल में तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी पहुंच गए. दोनों ने कान में खुसर-फुसर की और फिर कैमरे के सामने एलान किया कि ग्वालियर की एक सड़क का नाम सचिन तेंदुलकर मार्ग रखा जाएगा. बाद में सिटी सेंटर की सड़क का नामकरण सचिन तेंदुलकर मार्ग किया गया. केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मैच समाप्ति के बाद सचिन तेंदुलकर को इतिहास रचने की स्मृति के रूप में चांदी का एक बल्ला भेंट किया.