Case Against Dhirendra Krishna Shastri: राष्ट्रीय संत साध्वी ऋतंभरा मंगलवार को उदयपुर पहुंचीं. उन्होंने बुधवार को पत्रकार वार्ता में  वात्सल्य ग्राम अभियान के बारे में जानकारी दी कि इस अभियान को कैसे बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने बगेश्वरधाम प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर दर्ज मुकदमे, हिन्दू राष्ट्र, राम जन्मभूमि सहित कई मुद्दों के सवालों के जवाब दिए. आइये जानते हैं किस मुद्दे पर हुए सवाल पर साध्वी ऋतंभरा ने क्या कहा. 


हिन्दू राष्ट्र घोषित होने की बात पर यह कहा
स्वाभाविक रूप से भारत एक हिन्दू राष्ट्र है. पूरे विश्व की तरफ झांककर देखेंगे तो सभी की एक धरा, एक पहचान एक मान्यता, संस्कृति और जीने का तौर तरीका है. हम भारतवंशी हैं. हमारे तीन ही कुल हैं सूर्य-चंद्र और ऋषि वंश. इसलिए हमारे यहां कोई भी पंत, सम्प्रदाय का अनुयायी हो, वह भारतवंशी ही है. इस बात में स्पष्टता होनी चाहिए. हिन्दू राष्ट्र इस दृष्टि से कि पूरा संसार अपनी एक जड़ मान्यता का शिकार है. लोगों किसी भी दूसरे की पूजा पद्धति को बर्दाश्त नहीं करते हैं. यहां तक कि रंग देखकर भी भेद करते है. पर भारत ही ऐसा है जिसमें सभी को पनपने का मौका दिया गया. यहां तक कि हिन्दू समाज मे इतनी उदारता है कि कोई भी अपने ईश्वर की आराधना कर सकते हैं. इसलिए यहां पर हिन्दू राष्ट्र घोषित होना जरूरी है कि आप भौतिकवाद और आतंकवाद की मार से बचना है तो भारतीय विचार के साथ जीना होगा. 


उन्होंने कहा था कि जिस दिन भारत के टुकड़े कर दिए गए थे, विभाजन हो गया था, तब से तय है कि जो बाकी बची भूमि है वह हिन्दू राष्ट्र की है. लेकिन क्योंकि हिन्दू धर्मनिरपेक्षता का भी समर्थन करता है. लेकिन हजारों साल से हमारे आराध्यों के जन्म भूमियों पर, शोभायात्रा पर काफी संकट झेल लिया लेकिन अब हिन्दू इसको स्वीकार करने को राजी नहीं है. जिस धर्म निरपेक्षता की जो हिन्दू समाजी बात करते हैं, उन्हें भी समझना चाहिए कि जब तक हिन्दू बहुसंख्यक है तब तक आपकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता बची हुई है, अगर इसमें असंतुलन आता है तो इस व्यवस्था पर भी संकट आने वाला है. इसलिए जो विषय आ रहे संतो की तरफ से, उसे शुभ मानती हूं, समाज को जाग्रत होना चाहिए.


धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर दर्ज मुकदमे पर यह कहा
ऐसे मामलों में तो राजनीतिक मंशाएं होती हैं. मुकदमे होंगे, जेल होगी. यह कष्ट तो झेलने होंगे. श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन की आग से गुजरे हुए हम लोग है. बाधाएं तो आती हैं, लेकिन जो सत्य है उसे स्वीकार करना चाहिए. 


हनुमान जयंती पर उदयपुर में धारा 144 की बात पर यह कहा
प्रसाशनिक लोग, राजनीतिक इशारों पर ही चलते हैं. राजनीति तुष्टिकरण के एक पथ को लेकर चलती है. वह सत्य को स्वीकार नहीं कर पाती. या चंद लोग अपना दबदबा ऐसा बनाते हैं कि सभी को फिकर हो जाती है. मैं ये सोचती हूं कि समाज को ऐसे हालात में संगठित होना चाहिए, ताकि निर्भय होकर अपनी परंपरा को निभा सके.


कुम्भलगढ़ में अतिक्रमण वाले भाषण पर कही ये बात
साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि जो हमारी आस्था, प्रेरणा और श्रद्धा के केंद्र बिंदू है वह निरापद होने चाहिए. यह समाज के साहस से भी होगा और संगठित सज्जन शक्ति से भी होगा. क्योंकि अतिक्रमण अच्छी बात नहीं है. मेरी उदारता है मैंने आपको अंगुली पकड़ाई, लेकिन सब के सब मुझे खा जाओ यह उचित तो नहीं है. इसलिए सौहार्द और सौमनस्यता को झेलना, उसकी भी एक सीमा होती है. 


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