Boy Writer By Mouth: अगर मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति हो तो असम्भव को भी सम्भव बनाया जा सकता है. आत्मबल, चाहत और लगन के दम पर एक दिव्यांग बच्चे ने नामुमकिन को भी मुमकिन बना दिया है. दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी दिव्यांग छात्र मुंह से कलम पकड़ कर फटाफट लिखता है. प्रबल इच्छाशक्ति के बल पर दिव्यांग छात्र ने साबित कर दिया है कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है.


दरअसल हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहली के ग्राम सलैया के रहने वाले छात्र तपिस घोषी की. 12 साल के तपिस के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं फिर भी उसमें पढ़ने की ऐसी ललक है कि उसने मुंह में पेन फंसा कर लिखना सीख लिया. वह आम लोगों की तरह लिखने पढ़ने में माहिर है. तपिस सातवीं कक्षा का छात्र है. जो गढ़ाकोटा के दिव्यांग छात्रावास में रहकर पढ़ाई करता है. तपिस इस समय शासकीय प्राथमिक शाला छिरारी में परीक्षा दे रहे हैं और हाथों से दिव्यांग होने के कारण वह मुंह में पेन फंसाकर परीक्षा में पेपर हल करता है.


शिक्षकों ने मुंह से लिखना सिखाया


छात्र तपिस ने बताया कि उसके जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं हैं और शिक्षकों ने मुंह से लिखना सिखाया है. पढ़ाई के प्रति जुनून रखने वाला शिक्षक बनना चाहता है ताकि वो अपने जैसे दिव्यांग बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके और उनका भविष्य बेहतर बना सके. छिरारी स्कूल की शाला प्रभारी श्रीमती दुर्गा गोवा ने बताया कि तपिस जन्म से विकलांग है और छिरारी के समीपस्थ ग्राम सलैया का रहने वाला है. चूंकि दिव्यांग बच्चों को पास के स्कूल में परीक्षा देने का नियम है इस कारण हमारे स्कूल में परीक्षा देने आया है.


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