Sagar News: सागर (Sagar) में प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojna) के तहत बनाए गए मकानों को तोड़े जाने की कार्रवाई के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच राजनीति गरमा गई है. वहीं इन सब के बीच अब सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि वन विभाग की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों को कैसे स्वीकृत कर दिया गया? इस बात को लेकर सागर कलेक्टर दीपक आर्य भी हैरान है. उन्होंने दोषियों पर कार्यवाई किए जाने की बात भी कही है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सबसे महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से गड़बड़ी के कई मामले सामने आ चुके हैं. मध्य प्रदेश के देवास (Dewas) में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भेजी गई राशि को अन्य मदों में खर्च कर दिया गया. इस मामले में अभी उज्जैन लोकायुक्त पुलिस कई अपराध दर्ज कर दोषियों के खिलाफ जांच कर रही है. इसी बीच सागर में सरकारी वन विभाग की भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने का मामला सामने आया है. यह मामला उस समय सामने आया, जब सुरखी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रेपुरा में वन विभाग ने 10 मकानों को तोड़ दिया. 


मामला है  गंभीर
इन मकानों पर बुलडोजर चलाने के बाद यह बात सामने आई कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक मदद मिलने के बाद इनको तैयार किया गया था. सागर कलेक्टर दीपक आर्य के मुताबिक मामला गंभीर है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वन विभाग की जमीन पर मकान कैसे स्वीकृत कर दिया गया और किस प्रकार से इसकी राशि का आवंटन हुआ? यह जांच का विषय है. इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. सागर कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्की छत्त वाले मकान स्वीकृत किए जाते हैं. सबसे खास बात यह है कि जिन मकानों को वन विभाग ने तोड़ा है, उन मकानों पर टीन शेड लगा हुआ था. 


टीन शेड देखकर अधिकारी नहीं कर रहे थे भरोसा
उन्होंने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों ने भी टीन शेड देखकर लोगों की बात पर भरोसा नहीं किया, जबकि मकान को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था. 
प्रधानमंत्री आवास योजना के उज्जैन के नोडल अधिकारी पीसीआर यादव के मुताबिक, शहरी क्षेत्र में जब इस योजना के तहत मकान स्वीकृत होता है, तो ढाई लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में यह राशि 1,40,000 रुपये है. उन्होंने बताया कि वन विभाग या अन्य किसी विभाग की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान स्वीकृत नहीं किए जा सकते हैं, जबकि यदि सरकारी जमीन पर पिछले पांच साल से आवेदनकर्ता काबिल तो फिर संपत्ति कर भरवाकर उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जा सकता है. 


पीएम आवास योजना का फंड दूसरे मद में किया खर्च
उन्होंने बताया कि पहली शर्त भूमि निजी या फिर सरकारी होने पर नजूल की होनी चाहिए. इसका सीधा मतलब है कि सागर में वन विभाग की जमीन पर गलत तरीके से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया था. वहीं उज्जैन के लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान के मुताबिक देवास जिले की तीन नगर परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित की गई राशि को अन्य मदों में खर्च किए जाने का मामला सामने आने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने तीन अलग-अलग प्रकरण दर्ज किए हैं. इन मामलों में नगर परिषद के अधिकारियों के साथ-साथ तत्कालीन अध्यक्ष और अन्य प्राइवेट लोगों को भी आरोपी बनाया गया है. 


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