(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sagar News: सागर में बेजुबानों की सेवा में लगी है युवाओं की टीम, 15 हजार से अधिक जानवरों की जिन्दगी बचाई
MP News: मध्य प्रदेश के साग में युवाओं की एक टीम पशु सेवा समिति के जरिए घायल पशुओं का इलाज, उनके खानपान की व्यवस्था की करती है. साथ ही सरकारी तंत्र से बेहतर एक अस्पताल नुमा व्यवस्था कर रखी है.
Madhya Pradesh News: अक्सर जानवर खासतौर पर गाय, सांड और कुत्ते आदि सड़कों पर घायल नजर आते हैं. इलाज के अभाव में इनकी मौत भी हो जाती है. इनमें आवारा पशुओं की संख्या अधिक है. इन घायलों के इलाज और देखरेख के लिए मध्य प्रदेश के सागर (Sagar) में युवाओं की एक टीम काम कर रही है. पशु सेवा समिति के जरिए घायल पशुओं का इलाज, उनके खानपान की व्यवस्था की जाती है. सरकारी तंत्र से बेहतर एक अस्पताल नुमा व्यवस्था कर रखी है. जहां दवाएं, पशुओं को पकड़ने के उपकरण और अन्य सामग्री रखे है. अब पशु सेवा समिति ने अमेरिका से जानवरों के खुर मंगाए है. इन नकली खुरों से गायों को जीवन दान मिलेगा.
15 हजार जानवरों को बचाया
पशु सेवा समिति के बासु चौबे और परांग शुक्ला बताते हैं की पिछले 15 सालों से आवारा घायल पशुओं के इलाज और उनकी देखरेख में लगे हैं. पशु पक्षियों जिसमें कबुतर से लेकर गाय, कुत्ता, बिल्ली अन्य पशुओं की 15 हजार से अधिक पशुओं का उपचार कर चुके है. निरीह पशुओं को उपचार के लिए अब टीम को बड़ी मदद मिल रही है. इसमें गाय के पैरों के लिए घायल होकर निकले हुए खुर बदलने अमेरिका से कृत्रिम खुर मंगाये जा रहे हैं.
लेते हैं डॉक्टर्स की मदद
घायल जानवरों का इलाज करना और उनको पकड़ना एक कठिन काम है. घायल पशुओं की जानकारी मिलते ही टीम मौके पर उनका इलाज करती है. एनिमल कैचर भी रखे है. इनकी मदद से उनको पकड़ते है. मेडिकल किट और दानापानी भी साथ में रखते हैं. यह टीम जानवरों का देखरेख करते करते खुद भी अच्छे जानकार बन गए हैं. डॉक्टर्स की सलाह या फोन पर इलाज पूछकर दवाएं और आपरेशन कर देते हैं. हड्डी टूटने पर प्लास्टर बांधना और टांके आदि लगाना सभी कुछ टीम को आता है. इलाज की बेहतरी के लिए आनलाइन डॉक्टर्स से चर्चा भी करते है. समिति का कोई भी सदस्य पशु चिकित्सक नहीं है, यह लोग पशुओं की चिकित्सा सर्जरी इत्यादि यूट्ब पर देखकर पारंगत हो गए हैं.
घर पर लाते हैं घायलों को
टीम के सदस्य बताते हैं कि अनेक बार घायल पशुओं उपचार हेतु गाड़ी में रखकर घर पर लाना पड़ता है. कुछ दिनों तक इलाज करके उनको सुरक्षित जगहों पर छोड़ देते हैं. गायों को गौ शाला भिजवाते हैं. यहीं नहीं इस टीम को इलाज के लिए अब गौशाला वाले और पशु पालक भी बुलाने लगे है. परांग शुक्ला बताते हैं कि जानवरों को रेडियम बेल्ट भी लगा रहे हैं, ताकि अंधेरे में वाहन चालकों को जानवर दिख जाए और दुर्घटनाएं नहीं हो.
टीम नहीं लेती अर्थिक मदद
पशु सेवा समिति के बासू चौबे बताते हैं कि स्थानीय समाज सेवी और दवा व्यवसायी इस कार्य हेतु निशुल्क दवाएं और सामग्री देकर सहयोग करते हैं. पशुओं के उपचार के तुरंत बाद उनके गले में रेडियम बेल्ट बांधने का काम भी किया जाता है, ताकि वह दूर से दिख जाएं. यह रेडियम बेल्ट दिल्ली के एक वरिष्ट अधिकारी द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराये जाते हैं. इन दिनों लंपी नामक वायरल जमकर फैला है इस महामारी का उपचार इनकी समिति के द्वारा कोरोना काल के पिछले साल लाकडाउन की स्थिति में सदस्यों द्वारा किया गया है. लॉकडाउन में पशुओं का उपचार व भोजन की व्यवस्था लगातार सेवा में इस टीम के द्वारा की गई है.