(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sehore news : मध्य प्रदेश में बढ़ सकता है रेत का संकट, ब्लैक मार्केटिंग का खतरा मंडराया, 15 जिलों के रेत समूहों ने किया सरेंडर
प्रदेश के करीब एक दर्जन से ज्यादा जिलों के रेत समूहों ने रेत की खदानों को सरेंडर कर दिया है. इसकी वजह से राज्य में रेत का संकट गहरा सकता है. यहां जानें क्या कहना है ठेकेदारों का.
Sehore news : मध्य प्रदेश सरकार को रेत खदानों से बड़ा झटका लग रहा है. सबसे ज्यादा रेत रॉयल्टी देने वाले एक दर्जन से अधिक जिलों के रेत समूहों ने रेत की खदानों को सरेंडर कर दिया है इसकी वजह से भोपाल, इंदौर सहित करीब 12 से ज्यादा जिलों में रेत का संकट बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. पिछले 2 वर्ष के अंदर होशंगाबाद रेत खदान समूह के दो ठेकेदार सरेंडर कर चुके हैं.
खरगोन जिले के रेत खदान समूह के ठेकेदार का ठेका समर्पण प्रस्ताव सरकार ने वापस कर दिया है. खनिज संसाधन विभाग ने ठेकेदार से कहा है कि पहले पुरानी बकाया राशि और रॉयल्टी जमा करो, इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे. विभाग में शिवपुरी, छतरपुर, रीवा, राजगढ़, रायसेन, धार शाजापुर और अलीराजपुर जिले के रेत खदानों का ठेका 8 माह पहले ही सरेंडर कर दिया गया है.
वहीं पन्ना, भिंड और रतलाम जिले के ठेकेदारों ने भी खदानें समर्पित कर दी हैं. इन खदानों के ठेकेदार ठेके की किस्तें नहीं चुका रहे थे. आगर, मालवा, उज्जैन जिले की रेत खदाने लेने के लिए ठेकेदार शुरू से ही रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इन खदानों को नीलाम करने के लिए 2 साल से तीन बार टेंडर भी जारी किए गए लेकिन एक भी ठेकेदार इसमें शामिल नहीं हुआ. कुल मिलाकर प्रदेश में अब तक करीब 15 खदानें सरेंडर और सस्पेंड की जा चुकी हैं.
सरकार ने रेत खदानों की नीलामी तहसील और ब्लॉक स्तर पर करने के लिए नीति तैयार कर ली है लेकिन इन रेत खदानों की अभी तक नीलामी नहीं हुई है. अब भोपाल और होशंगाबाद खदानें सरेंडर होने के बाद प्रदेश कई जिलों में रेत का संकट और अवैध उत्खनन का कारोबार बढ़ जाएगा क्योंकि जब लोगों को सहज और सुलभ रेत नहीं मिलेगी तो ब्लैक मार्केटिंग और चोरी बढ़ जाएगी.
रेत खदान सरेंडर करने वाले ठेकेदारों का कहना है कि रियल एस्टेट का काम मंदा हो गया है. इसके चलते रेत खदानें की किस्ते निकालना मुश्किल हो रहा है. पिछले वर्ष कोरोना और लॉकडाउन के चलते रेत नहीं बिकी. मालूम हो कि अकेले होशंगाबाद रेत ठेकेदार करीब तीन सौ करोड़ रुपये हर साल रायल्टी देता था.
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