MP News: पद्मश्री 'वागीश शास्त्री' के निधन से संस्कृत जगत में शोक की लहर, PM मोदी समेत कई नेताओं ने जताया दुख
MP News: प्रोफेसर भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी (Bhagirath Prasad Tripathi) 'वागीश शास्त्री' का निधन हो गया है. उनके निधन की सूचना मिलते ही संस्कृत जगत में शोक की लहर दौड़ गई.
Bhagirath Prasad Tripathi Death: पद्मश्री योग, तंत्र विद्या के मर्मज्ञ विद्वान प्रोफेसर भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी (Bhagirath Prasad Tripathi) 'वागीश शास्त्री' का बुधवार की रात को वाराणसी (Varanasi) में निधन हो गया. 88 वर्षीय वागीश शास्त्री पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके निधन की सूचना मिलते ही संस्कृत जगत में शोक की लहर दौड़ गई. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath), एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan), मंत्री भूपेन्द्र सिंह समेत कई नेताओं ने शोक जताया है.
मध्य प्रदेश से है सीधा नाता
संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक और प्रोफेसर वागीश शास्त्री का मध्य प्रदेश से सीधा नाता है. उनकी जन्मस्थली सागर जिले के खुरई का बिलैया ग्राम है. उनका जन्म 24 जुलाई 1934 को हुआ था. 'वागीश शास्त्री' की प्रारंभिक शिक्षा सागर में संस्कृत विद्यालय में हुई, इसके बाद बनारस उनकी कर्मस्थली बन गया.
पूरा गांव दे रहा है विनम्र श्रंद्धांजलि
डॉ भागीरथ त्रिपाठी के भतीजे ब्रिजेश त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने बनारस में यज्ञोपवीत के साथ गायत्री मंत्र की गुरुदीक्षा लेकर डॉ वागीश को ही अपना गुरु बनाया था और जीवन पर्यंत उनका मार्गदर्शन ही पथ प्रदर्शक रहेगा. उन्होंने बताया कि गांव में और परिवार में वो भक्तराम के नाम से विख्यात रहें. उनके बड़े भाई पंडित नेतराम तिवारी ने बचपन की याद करते हुए बताया कि भक्तराम बचपन से मेघावी थे और जब सारे बच्चे खेलते थे तो वो गांव के खलिहान में योग मुद्रा में तल्लीन होकर आध्यात्मिक लगन में जुड़े रहते थे. वागीश जी को आज पूरा गांव विनम्र श्रंद्धांजलि दे रहा है.
अनेक सम्मानों से नवाजे गए शास्त्री जी
संस्कृत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले प्रोफेसर वागीश शास्त्री को वर्ष 2018 में पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया था. उन्होंने 1959 में वाराणसी के टीकमणि संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत प्राध्यापक के रूप में अपने अध्यापकीय जीवन की शुरुआत की थी. इसके बाद वो संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में अनुसंधान संस्थान के निदेशक और प्रोफेसर के पद पर 1970 में नियुक्त हुए और 1996 तक विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे. वागीश शास्त्री ने 1983 में बाग्योगचेतनापीठम नामक संस्था की स्थापना की थी. इस संस्था के माध्यम से वो सरल विधि से बिना रटे पाणिनी व्याकरण का ज्ञान देते थे. प्रोफेसर शास्त्री से ज्ञान अर्जन के लिए देश-विदेश से लोग उनके पास आते रहते थे, कई विदेशी शिष्य भी बने.
प्रदान किया जा चुका है सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट
भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी को राष्ट्रपति द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट सम्मान प्रदान किया जा चुका है. 2014 में प्रदेश सरकार की ओर से यशभारती सम्मान मिला था और 2014 में ही संस्कृत संस्थान ने विश्व भारती सम्मान दिया था. 2017 में दिल्ली संस्कृत अकादमी ने महर्षि वेद व्यास सम्मान से सम्मानित किया. इस क्रम में वर्ष 1993 में उन्हें अमेरिका ने सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट गोल्ड ऑफ आनर से सम्मानित किया था. प्रोफेसर शास्त्री को राजस्थान संस्कृत अकादमी से बाणभट्ट पुरस्कार, काशी पंडित परिषद की ओर महामहोपाध्याय सहित अन्य पुरस्कार और अलंकार से नवाजा जा चुका है. प्रोफेसर शास्त्री के अब तक चार सौ से भी अधिक संस्कृत शोधलेख और 55 से अधिक मौलिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं.
सीएम शिवराज चौहान ने जताया दुख
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संस्कृत के प्रकांड विद्वान पद्मश्री प्रोफेसर भगीरथ प्रसाद त्रिपाठी 'वागीश शास्त्री' के निधन पर शोक व्यक्त किया है. सीएम शिवराज ने सोशल मीडिया के माध्यम से जारी संदेश में कहा कि ये दुखद समाचार है. प्रोफेसर त्रिपाठी सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक दौर में संस्कृत की उपयोगिता के अद्भुत सेतु रहे. मुख्यमंत्री ने प्रोफेसर त्रिपाठी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है.
देश की अपूरणीय क्षति
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि ग्राम बिलैया, खुरई के सपूत, पद्मश्री सम्मानित संस्कृत के विश्व प्रसिद्ध विद्वान तथा भाषाविद महामहोपाध्याय पंडित श्री भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी (वागीश शास्त्री) जी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है. मंत्री ने कहा कि भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी जी का जाना संस्कृत जगत ही नहीं, देश की अपूरणीय क्षति है. देश की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता के युग में भावी पीढ़ियों के हाथों सुरक्षित पहुंचाने में भागीरथ त्रिपाठी का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे. शोक संतप्त परिजनों इस गहन दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें.
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