Sant Siyaram Baba Died: मोक्ष एकादशी के दिन आध्यात्मिक गुरु सियाराम बाबा का निधन, पिछले 10 दिनों से थे बीमार
Sant Siyaram Baba Death: खरगोन जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर भट्यान गांव में नर्मदा किनारे स्थित भट्याण आश्रम में बुधवार सुबह आध्यात्मिक गुरु सियाराम बाबा का निधन हो गया.
Sant Siyaram Baba Death News: मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक गुरु सियाराम बाबा का नर्मदा नदी पर स्थित भट्याण आश्रम में आज बुधवार (11 दिसंबर) को एकादशी के दिन सुबह 6:30 बजे निधन हो गया. उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए. मुख्यमंत्री मोहन यादव आज शाम चार बजे उनसे मिलने के लिए आने वाले थे. बाबा पिछले 10 दिन से बीमार थे और इंदौर के डॉक्टर उनका इलाज इलाज कर रहे थे.
संत सियाराम बाबा का आश्रम मध्य प्रदेश में खरगोन जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर भट्यान गांव में नर्मदा किनारे स्थित है. भक्तों ने बताया कि संत सियाराम बाबा धर्मशाला और मंदिरों के लिए करोड़ों रुपये दान कर चुके हैं, लेकिन किसी भी श्रद्धालु को अपने आश्रम में 10 रुपये से ज्यादा का दान नहीं चढ़ाने देते थे. यदि इससे अधिक कोई श्रद्धालु राशि देता तो 10 रुपये काटकर उन्हें वापस लौटा देते थे.
Madhya Pradesh: Spiritual leader Shri Siyaram Baba passed away at Bhatyan Ashram on the Narmada River around 6:30 AM on Ekadashi. Despite his health issues, a large crowd gathered to pay their respects. CM Mohan Yadav was scheduled to visit at 4 PM today pic.twitter.com/Kf5W9EiPGZ
— IANS (@ians_india) December 11, 2024
1955 में बाबा आए थे भट्यान गांव
संत बाबा के तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक लंगोट होती थी. कड़ाके की ठंड हो, या बरसात हो, या फिर भीषण गर्मी, बाबा लंगोट के अलावा कुछ धारण नहीं करते थे. बताया जाता है कि 1955 में बाबा इस गांव में आए थे. उनके सरल और दयालु प्रवृत्ति के चलते ग्रामीणों ने उनके लिए एक छोटा सा कमरा बनाया, तभी से वे नर्मदा किनारे अपने उसी आश्रम में रहते थे.
साधारण से कमरे में निवास करने वाले संत सियाराम बाबा के दर्शन के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से भी श्रद्धालु आते थे. रोजाना हजारों लोग उनका आर्शीवाद लेने आते थे. बाबा के आश्रम में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का हमेशा ताता लगा रहता था. इसके चलते आश्रम के पास मैदान में हमेशा मेला लगता था.
रोजाना पढ़ते थे 21 घंटे रामायण
भगवान राम की भक्ति में लीन रहने वाले सियाराम बाबा रोजाना 21 घंटे रामायण का पाठ करते थे. वे लगभग 100 साल की उम्र पार कर चुके थे, लेकिन बिना चश्मा लगाए हर अक्षर को आसानी से पढ़ लेते थे. रामभक्ति की ऐसी अद्भुत धुन देखकर हर कोई उन्हें नतमस्तक हो जाता था और शायद यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के आश्रम में आकर उनसे मिलना अपना सौभाग्य मानते थे.