MP News Today: नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) की अगुवाई करने वालीं मेधा पाटकर ने शनिवार (14 सितंबर) को आरोप लगाया गया कि सरदार सरोवर बांध का जल स्तर बढ़ने से पानी गांवों में घुस गया है. मेधा पाटकर ने बताया कि इसको लेकर उन्होंने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में "जल सत्याग्रह" शुरू किया.
छोटी कसरावद में "जल सत्याग्रह" स्थल पर मेधा पाटकर ने दावा किया कि केंद्रीय जल आयोग की नियमावली और नियमों का उल्लंघन करते हुए सरदार सरोवर बांध का जल स्तर अवैध रूप से बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस की वजह से विभिन्न गांवों के प्रतिनिधि, विशेष रूप से बड़वानी और धार जिलों की महिलाएं विरोध के लिए इकट्ठा हुईं.
'पानी छोड़ने से हजारों घर तबाह'
मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि "पानी, सरदार सरोवर बांध के फाटकों को समय पर नियंत्रित न करने और ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण हजारों घर तबाह हो गए हैं." उन्होंने कहा कि "सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 135 से 136 मीटर तक पहुंच गया है. ओंकारेश्वर बांध के फाटक शुक्रवार रात को खोल दिए गए."
मेधा पाटकर ने लगाए ये आरोप
पाटकर ने कहा कि ऐसी स्थिति में सरदार सरोवर बांध के सभी फाटक खोल दिए जाने चाहिए थे और जलस्तर को 122 मीटर पर प्रबंधित किया जाना चाहिए था. उन्होंने दावा किया कि न केवल अत्यधिक बारिश के कारण बल्कि जलस्तर में वृद्धि के कारण भी घर तबाह हो गए.
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि "इसके कारण महाराष्ट्र और गुजरात के लोग भी प्रभावित हुए हैं." उन्होंने कहा कि "कृषि भूमि का न तो अधिग्रहण किया गया न ही क्षेत्र में पुनर्वास किया गया."
मेधा पाटकर ने दी चेतावनी
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने बताया कि "यह नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड की जिम्मेदारी थी और कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक "जल सत्याग्रह" जारी रहेगा.
कार्यकर्ता ने दावा किया कि पिछले वर्ष मानसून के दौरान जलस्तर बढ़ने के कारण सरदार सरोवर क्षेत्र के 170 से अधिक गांवों में घर और कृषि भूमि इसी तरह तबाह हो गए थे.
ये भी पढ़ें: 'मां नर्मदा के किनारे धार्मिक स्थलों को मांस-मदिरा की बिक्री से मुक्त...', सीएम मोहन यादव ने दिया आदेश