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MP: एमपी में जारी सरंपच पति का 'खेल', पहले पत्नियों को उतारते हैं मैदान में फिर जीतते ही खुद संभालते हैं कुर्सी
Panchayati Raj: मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि चुनाव जीतते ही उनके पति ही पंचायत ऑफिस में नजर आते हैं.
MP News: 24 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राष्ट्रीय पंचायती रात दिवस (Panchayati Raj Divas) पर मंशा जाहिर की थी कि देश में सरपंच पति (Sarpanch Pati) संस्कृति खत्म होना चाहिए. लेकिन आठ साल बाद भी मध्य प्रदेश में पीएम मोदी की यह मंशा साकार नहीं हो सकी है. प्रदेश में पंचायतों में महिला सरपंचों की जगह उनके पति और जेठ कामकाज संभाल रहे हैं. महिला सरपंच पढ़ी लिखी होने के बाद भी चौके-चूल्हे के काम में ही व्यस्त हैं. पीएम मोदी ने कहा था कि कानून ने महिलाओं को अधिकार दिए, जब कानून उन्हें अधिकार देता है तो उन्हें अवसर भी मिलना चहिए. इस सरपंच पति संस्कृति को खत्म करें.
महिला सशक्तिकरण की अलख जगाने के लिए राजधानी भोपाल के बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव में भक्ति शर्मा सरपंच बनी थीं. सरपंच बनने से पहले भक्ति अमेरिका में नौकरी करती थीं. भक्ति शर्मा कहती हैं कि सशक्तीकरण को लेकर सरकार की मंशा में खोट नहीं है लेकिन हमारे प्रदेश के पुरुष, सरकार की इस मंशा को साकार नहीं होने दे रहे हैं. अपने वर्चस्व के लिए गांव के दमदार परिवार के लोग अपने घरों की महिलाओं को सरपंची चुनाव में उतारते हैं और सरपंच बनने के बाद उन्हें घर के ही कामकाज में उलझा देते हैं और परिवार के पुरुष खुद पंचायती कामकाज संभालते हैं, इस तरह महिलाएं रबर स्टैम्प बनकर ही रह जाती हैं. महिला सशक्तीकरण के लिए ग्राम पंचायतों के सचिवों को अहम जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा साकार हो सकेगी.
65 प्रतिशत महिला सरपंच निर्विरोध
बता दें पिछले साल मध्य प्रदेश में 22 हजार 921 पंचायतों में चुनाव हुए. इस चुनाव में 645 पंचायतों में निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हुए. निर्विरोध सरपंच निर्वाचित होने में 445 महिला सरपंच हैं. पुरुषों के मुकाबले इस बार 65 प्रतिशत महिला सरपंच चुनी गई. पंचायती राज्य अधिनियम 1992 के तहत पंचायत चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था, जिसे साल 2010 में बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया. जिससे अब प्रत्येक दूसरा पद महिलाओं के लिए आरक्षित है पर महिलाएं इस पद का लाभ नहीं उठा पा रही हैं. पंचायतों में महिलाओं की जगह पुरुष कामकाज देख रहे हैं. इस बात का खुलासा भी साल 2017 में गुना के तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ नियात खान की पड़ताल रिपोर्ट से हुआ था. तत्कालीन सीईओ की रिपोर्ट के अनुसार गुना की 425 पंचायत में से 235 पंचायतों में सरपंच पत्नी के स्थान पर उनके पति कामकाज देख रहे थे. इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने एक्शन लिया और सरपंच पतियों को चेतावनी दी कि यदि दखल दिया तो अब कानूनी कार्रवाई होगी.
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