MP News: मुआवजे की मांग को लेकर हाई टेंशन लाइन के टॉवर पर चढ़े किसान, इतने साल से कर रहे हैं मुआवजे का इंतजार
Satna News: किसानों का आंदोलन टावर पर जारी है. लेकिन प्रशासन का कोई भी अमला अभी मौके पर नहीं पहुंचा है. किसानों ने टावर पर तिरंगा झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
सतना: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिलें में हाईटेंशन बिजली लाइन के टावर पर चढ़ गए दर्जनों गांवों के किसान बीते एक महीने से अनशन पर हैं. सतना के उचेहरा तहसील के अतरवेदिया गांव के किसान हाईटेंशन बिजली लाइन के टावर पर चढ़ गए हैं. किसानों ने आत्महत्या की चेतावनी दी है. ये किसान पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा खेतों में लगाए गए टावर और खींची गई बिजली लाइन का उचित मुआवजा नहीं देने के विरोध में एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं. इसमें उचेहरा तहसील के दर्जनों गांवों के किसान शामिल हैं.
किस बात के लिए आंदोलन कर रहे हैं किसान
उचेहरा तहसील के कई गांवों में यही स्थिति है. किसानों का आरोप है कि उनके खेतों में बिजली कंपनी ने बड़े-बड़े टावर लगाकर बिजली लाइन खींची गई है. इसके मुआवजे के लिए उन्होंने पहले एसडीएम और उसके बाद कलेक्टर को भी आवेदन दिया था. इस मामले में एसडीएम और कलेक्टर न्यायालय ने मुआवजा जारी करने आदेश भी दे दिया था. लेकिन बिजली कंपनी ने उन्हें अब तक मुआवजा नहीं दिया है. कंपनी हर बार किसी न किसी रूप में बहाना बना देती है. किसानों की मांग है कि उन्हें 12 लाख रुपये प्रति टावर और तीन हजार रुपये प्रति रनिंग मीटर की दर से तार बिछाए जाने की मुआवजा राशि दी जाए.
किसानों का आंदोलन टावर पर जारी है. लेकिन प्रशासन का कोई भी अमला अभी मौके पर नहीं पहुंचा है. किसानों ने टावर पर तिरंगा झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान उमेश पाल का कहना है मेरा घर और कुआं खेत पर बना है. बिजली कंपनी ने टावर लगाए हैं लेकिन आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया है मुझे 12 लाख रुपये मुआवजा चाहिए. इसी टावर की लाईट से मेरा हाथ जल गया था.
कितने दिन से लटका है मुआवजे का मामला
सतना जिले में ट्रांसमिशन कंपनियों ने किसानों के खेतों से उच्च दाब की लाइन निकाल दी. लाइन निर्माण के दौरान किसानों को प्रभावित भूमि, परिसम्पति कुआं, बोरवेल, मकान, पेड़ों का मुआवजा देने का वादा किया गया था. लेकिन अभी तक सभी किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया है. सतना जिले में महज पांच सैकड़ा किसानों को जमीन, कुआं, बोरवेल, मकान और पेड़ का मुआवजा कंपनियों ने दिया है. वहीं 10 हजार किसान मुआवजे से आज भी वंचित हैं. ये किसान 2015 से आंदोलन कर रहे हैं. हर बार प्रशासनिक अधिकारी आते हैं. वो कुछ गांवों के किसानों के मुआवजे के भुगतान का आदेश जारी करते हैं. जिले के शेष गांवों के किसान वंचित रह जाते हैं.
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