Mahakal ki Mahima: धार्मिक नगरी उज्जैन में सावन के चौथे सोमवार भगवान महाकाल की सवारी निकली.इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. भगवान महाकाल को राजाधिराज क्यों कहा जाता है? इसके पीछे दिलचस्प कहानी है. राजाधिराज की वजह से उज्जैन में कोई मुख्यमंत्री रात नहीं रुकता है. आइए जानते हैं कि इसके पीछे की मान्यता क्या है.
तीन लोकों के स्वामी महाकाल
उज्जैन में सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी शाही ठाठ बाट के साथ निकाली गई. राजाधिराज भगवान महाकाल को मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी राजेश गुरु ने बताएगी भगवान महाकाल तीनों लोकों के स्वामी हैं. आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर और मृत्यु लोक में महाकाल विराजित है. तीनों लोकों के स्वामी होने की वजह से उन्हें राजाधिराज कहा जाता है. यही वजह है कि सबसे पहले सभी पर्व की शुरुआत भगवान महाकालेश्वर के दरबार से होती है. होली, दीपावली सहित अन्य त्योहारों पर सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में मनाया जाता है.इसके बाद देश भर में इस पर्व की धूम रहती है. प्राचीन समय से ही उज्जैन में कोई राजा रात नहीं रुकता आया है. इसी वजह से वर्तमान समय में भी कोई मुख्यमंत्री रात में भगवान महाकाल के परिक्षेत्र में रात नहीं गुजरता है.यह परंपरा काफी प्राचीन है और इसका अभी तक पालन किया जा रहा है.
प्रजा का हालचाल लेते हैं राजाधिराज
प्राचीन समय में जब राजा का दरबार लगता था तो वह सभी की फरियाद सुनते थे.इसके बाद नगर भ्रमण पर भी निकलते थे. इसी तरह राजाधिराज भगवान महाकाल भी नगर भ्रमण पर निकलते हैं.ऐसी मान्यता है कि जो लोग भगवान के मंदिर अर्थात दरबार में नहीं आ सकते हैं,उन्हें खुद दर्शन देने के लिए और उनके हालचाल जानने के लिए राजाधिराज भगवान महाकाल निकलते हैं.भगवान महाकाल के दरबार में जो परंपराओं का निर्वहन होता है,वह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे अनूठी है.
राजाधिराज के दरबार से होता है चुनावी शंखनाद
चुनाव भले ही मध्य प्रदेश का हो या फिर देश का, सबसे पहले राजाधिराज भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए राजनेता आते हैं. पिछले दो दशक से सभी चुनाव की शुरूआत भगवान महाकाल के दरबार से होती आई है.पूर्व में राहुल गांधी भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए आ चुके हैं.इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ सहित देश के बड़े-बड़े राजनेता चुनाव से पहले भगवान की शरण में जरूर आते हैं.ऐसा माना जाता है कि भगवान महाकाल का आशीर्वाद मिलने के बाद जनता का आशीर्वाद मिला आसान हो जाता है.
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