Sawan Shivratri 2022 Puja: भगवान शिव को सावन ही नहीं बल्कि दूसरे महीनों में भी बेलपत्र चढ़ाने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. बेलपत्र चढ़ाने के पीछे भी कई दंत कथाएं और रोचक कहानियां हैं. हालांकि बेलपत्र का वनस्पति महत्व भी कम नहीं है. "त्रिदलम त्रिगुणाकारम त्रिनेत्रम च तृया युधम। त्रि जन्म पाप संवहारम बिल्वपत्रम शिवार्पणम।।" इस श्लोक से स्पष्ट है कि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा भगवान शिव सभी कष्ट और दुख को हर लेते हैं. शिव महापुराण में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प है.


मनोकामना होती है पूर्ण
बता दें कि बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं और भगवान शिव त्रिनेत्र धारी है. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक भगवान शिव को सावन के महीने में बेलपत्र चढ़ाने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है. भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल भी देते हैं. बेलपत्र का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि इसका वनस्पति महत्व भी उल्लेखित है. बेलपत्र के चूर्ण को ग्रहण करने से कई कष्ट दूर होते हैं. पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक भगवान शिव तो भाव के भूखे हैं, मगर बेलपत्र, जल, दूध और पंचामृत पूजन कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है. 


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एक किवदंती यह भी प्रचलित
ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास के मुताबिक एक किवदंती यह भी प्रचलित है कि एक शिकारी बेलपत्र के पेड़ पर बैठकर शिकार की तलाश कर रहा था. इस दौरान वह अपने शिकार को बुलाने के लिए बेलपत्र की पत्तियां ऊपर से फेंक रहा था. यह सब कुछ सावन के महीने में शिवलिंग की प्रतिमा के ऊपर चल रहा था. शिकारी बेलपत्र को जब नीचे फेंक रहा था तो वह भगवान शिव की प्रतिमा पर अर्पित हो रही थी.


शिकारी शिवलिंग पर पूरी रात बेलपत्र चढ़ाता रहा, इसी बीच सुबह होते होते शिकारी की हिंसक प्रवृत्ति बदल गई और उसने शिकार छोड़कर धर्म की राह पकड़ ली. यह किवदंती जनमानस के बीच काफी प्रचलित रही है. इससे यह तात्पर्य गया कि भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से भटका हुआ इंसान सही दिशा पर आगे बढ़ने लगता है. इसी वजह से भी भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाता है.


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