Sehore: सीहोर में जिला प्रशासन के खिलाफ किसानों का अनूठा प्रदर्शन, मंदिर के सामने भजन गाकर जताया विरोध
Sehore News: सीहोर में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के व्यवहार से पीड़ित लोगों ने विरोध का नया तरीका निकाला है. उन्होंने डैम के पानी में डूबकर मरने लेकिन रावतखेड़ा गांव खाली नहीं करने का संकल्प लिया.
Sehore News: सीहोर जिले में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के व्यवहार से पीड़ित किसानों ने विरोध का नया तरीका निकाला है. उन्होंने डैम के पानी में डूबकर मरने लेकिन रावतखेड़ा गांव खाली नहीं करने का संकल्प लिया है. मध्य प्रदेश सरकार की सोई हुई आत्मा को जगाने के लिए ग्रामवासियों ने विरोध रैली निकाली. मंदिर के सामने महिला, पुरुष और बच्चों ने कृषि भूमि के दस्तावेजों के साथ धरना दिया. ग्रामवासियों ने गांव की चौपाल पर सरकार की सद्बुद्धि के लिए 'रघुपति राजा राजाराम सरकार को सद्बुद्धि दे भगवान' भजन भी गाया.
हक की मांग कर रहे किसानों को जेल भेजने की धमकी
किसानों ने सासंद और विधायक पर भी सिंचित भूमि का सही मुआवजा राशि दिलाने में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पटवारी इलियास खान ने रिश्वत लेकर असिंचित भूमि को सिंचित घोषित कर दिया और नायब तहसीलदार ज्योति ने हक की राशि मांग रहे किसानों को जेल भेजने की धमकी दी. सरकारी दस्तावेजों में जानबूझकर नायब तहसीलदार ने गलत जानकारी भरी. किसानों ने रावतखेड़ा में मंगलवार को शिवरात्री भी नहीं मनाई. रावतखेड़ा के किसान सिंचित भूमि और मकानों सहित डूबने वाली अचल संपत्ति का पूरा मुआवजा मांग रहे हैं. आरोप है कि प्रशासन ने तोड़ मरोड़कर पार्वती नदी, तालाब, कुआं, ट्यूबवेल से सिंचित पांच सौ एकड़ कृषि भूमि को असिंचित घोषित कर ग्रामवासियों को मुआवजा देने का प्लान बनाया है.
Ujjain: महाशिवरात्रि के अगले दिन महाकाल मंदिर में दोपहर को हुई भस्म आरती, जानें क्यों है खास?
पार्वती सिंचाई परियोजना से प्रभावित किसानों का आंदोलन
हल्का नंबर 8 में किसानों की सिंचित भूमि का अधिग्रहण पार्वती सिंचाई परियोजना के तहत बांध निर्माण के लिए किया गया है. परियोजना की लागत लगभग 1815.15 करोड़ रुपए है. साल 2018 में शुरू हुआ बांध निर्माण का काम 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. परियोजना की जल भराव क्षमता 162 मिलियन घन मीटर है. परियेाजना में बनाए जा रहे बांध की ऊंचाई 24.95 मीटर रखी गई है. सीहोर जिले का महुआ खेड़ा और रावत खेड़ा गांव भी पूरी तरह से डूब में है. रावतखेड़ा के किसान प्रद्युम्न सोलंकी, आत्माराम, लक्ष्मण सिंह, विशाल सोंलकी, देवेंद्र सोलंकी, ममता कुवंर, वशु सोलंकी, प्रमीण सिंह, कली बाई सहित अन्य शासन प्रशासन से लगातार मांग कर रहे हैं. उनकी मांग में सिंचित भूमि और अचल संपत्तियों का सही आंकलन करने, सिंचित भूमि के मान से अधिग्रहित की गई भूमि का मुआवजा देने, विस्थापन की स्थिति में कॉलोनी का निर्माण कराकर देने का मुद्दा शामिल है.