Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर की ग्राम पंचायत झरखेड़ा पिछले कुछ महीनों से चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी वजह है कि यहां पूर्व सरपंच और सचिव ने वेशकीमती जमीन को खुर्दबुर्द कर दिया. यह बात जांच में भी साबित हुई, एफआईआर के आदेश भी हुए, लेकिन जनपद सीईओ ने महीनों तक मामले में ढिलाई बरती और पूर्व सरपंच और सचिव को बचाया. अब एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में आ गया है.
बताया जा रहा है कि जांच एजेंसियों ने जिला पंचायत सीईओ से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है और अपना प्रतिवेदन पेश करने को कहा है. लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और संभागीय कमिश्नर कार्यालय भोपाल द्वारा जांच रिपोर्ट और प्रतिवेदन मांगा गया है. दरअसल, ग्राम पंचायत झरखेड़ा में साल 2022 के पहले पूर्व सरपंच सविता विश्वकर्मा और सचिव मनोहर मेवाड़ा की ओर से 17 दुकानों का निर्माण कराया गया था.
क्या है पूरा मामला?
इसमें कई प्रकार की अनियमितताएं पाई गई और शासकीय नियमों का उल्लघंन किया गया. दुकान निर्माण से पहले राजस्व भूमि ट्रांसफर नहीं की गई, नीलामी की शर्तें पूरी नहीं की गई. दुकानदारों से ज्यादा राशि लेकर कम राशि की रशीदें दी गई. इस मामले में जुलाई 2024 को तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी ने जनपद पंचायत सीहोर की सीईओ नमिता बघेल को पत्र लिखकर आरोपी पूर्व सरपंच और सचिव पर एफआईआर कराने के लिए निर्देश किया था, लेकिन इस पत्र को कई महीनों तक ताक पर रखा गया.
इसके बाद भोपाल के एक्टिविस्ट अजय पाटीदार द्वारा मामले की शिकायत लोकायुक्त, कमिश्नर कार्यालय और ईओडब्ल्यू में की गई. विपक्ष के नेता भी इस पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन और बीजेपी सरकार को घेर रहे हैं. अब सवाल यह उठ रहा है कि पूर्व सरपंच और सचिव को आखिर क्यों बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं? इस मामले में दोबारा से जांच की गई है. जनपद पंचायत सीईओ नमिता बघेल, नायब तहसीलदार दोराहा अर्पित मेहता और विकास खंड अधिकारी नर्बद सूर्यवंशी दोबारा से जांच कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत झरखेड़ा के रोजगार सहायक रंजीत पाटीदार की भी कई खामियां जांच में उजागर हुई हैं. ऐसी कुछ बात सामने आई है कि जांच के समय कई तथ्य छुपाए गए थे. इसी हफ्ते दोबारा की गई जांच की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जा सकती है. सीहोर जिला पंचायत के प्रभारी सीईओ नितिन टाले के अनुसार, पूर्व सरपंच और सचिव ने कलेक्टर को लिखित आवेदन सौंपकर फिर से जांच करने की गुहार लगाई थी, जिनका कहना था कि जांच में कुछ तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए थे. दोबारा से जांच कराई जा रही है.