Sehore News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर जिले में मतस्योद्योग सहकारी समिति आष्टा फर्जी सदस्यों के नाम पर चल रही है. नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति के सदस्यों ने ही यह आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि, नगरपालिका आष्टा परिषद स्वामित्व का हनुमानगढ़ी लाला, मत्स्य पालन के लिए गैर मछुआरों को पट्टे पर दे दिया गया है. अध्यक्ष ने धोखाधड़ी कर मछुआरों के नाम समिति में दर्ज कर लिए हैं. समिति में रहते हुए भी वास्ताविक मछुआरों को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है.
मछुआरों ने क्या आरोप लगाया
मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे मछुआरों ने गैर मछुआरा ठेकेदार द्वारा मत्स्य निरीक्षक और अधिकारी से सांठ-गांठ करने का आरोप भी लगाया है. मछुआरों ने मुख्यमंत्री (Shivraj Singh Chauhan) के नाम डिप्टी कलेक्टर प्रगति वर्मा को ज्ञापन देकर नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति को भंग करने और असली मछुआरों को रोजगार उपलब्ध कराकर गैर कानूनी कार्य करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.
मछुआरों ने क्या कहा है
कलेक्ट्रेट पहुंचे मछुआरों ने बताया की नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति आष्टा नगरपालिका स्वामित्व का हनुमानगढ़ी तालाब शासन के नियमानुसार आवंटित किया गया है. तालाब में हम वर्षों से मजदूरी पर मछली पालन का कार्य कर हैं जबकि भोपाल स्थित मत्स्य विभाग कार्यालय से सूचना के अधिकार के अंतर्गत निकलवाई गई सूची में हम सभी सदस्य और ठेकेदारी में पार्टनर हैं. इसके अलावा समिति के अध्यक्ष अतीक बारी ने गैर मछुआ समाज की महिलाओं और पुरूषों को भी फर्जी तरीके से सदस्य बना दिया है.
असली मछुआरे रोजगार को तरस रहे
नवीन सहकारी समिति पर गैर मछुआ परिवार का कब्जा होने से असली मछुआरों को कुछ भी लाभ नहीं दिया जा रहा है. जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 20 जनवरी को फर्जी सदस्यों को निकालकर वास्तविक मछुआरे परिवारों को रोजगार देने के निर्देश दिए हैं लेकिन अबतक इस संबंध में कोई भी कार्यवाही विभाग द्वारा नहीं की गई है. इधर समिति में सदस्य होने के बाद भी असली मछुआरें रोजगार को तरस रहे है.
नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति आष्टा पर गैर मछुआ और एक ही परिवार के लोगों ने कब्जा कर रखा है जबकि प्रदेश में तय की गई मछुआ नीति और निर्देश के मुताबिक समिति में अगर अन्य जाति वर्ग के फर्जी सदस्य सम्मिलित किेए जाते हैं तो उन्हें हटाकर इच्छुक वंशानुगत मछुआ जाति के सदस्यों को सम्मिलित किया जाएगा. ज्ञापन देने वालों में लाखन, मनोज, राजेश, मांगीलाल राकेश विजय, बाबूलाल, पूजा आदि मछुआ समाज के नागरिक शामिल थे.