मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) जिले के कांग्रेस परिवहन प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष जसवीर सिंह खनुजा ने बताया कि गेहूं के निर्यात पर रोक (Wheat Export Ban) लगाने से सीहोर जिले का 40 हजार क्विंटल गेहूं गुजरात और महाराष्ट्र के मुंद्रा कांडला, पनवेल और गांधीधाम पोर्ट पर अटक गया है. 6 दिन से गेहूं से लदे ट्रक बंदरगाह पर खड़े हैं. 10 मई तक के वाहन अनलोड हो चुके हैं, 12-13 मई की गाडियों की अनलोडिंग को लेकर अनिश्चय की स्थिति है. 


कितना घाटा उठाना पड़ेगा
जसवीर सिंह खनुजा ने बताया, व्यापारियों को गेहूं वापस बुलाने पर 700 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा उठाना पड़ेगा. गांधीधाम में 1000 ट्रक खड़े हैं जिसमें से लगभग 100 गाड़ी सीहोर जिले की खड़ी हुई हैं. इस 46-47 डिग्री की गर्मी में ड्राइवर परेशान हो रहा है. सीहोर जिले के व्यापारी ने गुजरात के एक्सपोर्टर के माध्यम से सौदा करके गेहूं भेजा है. ऊंचे भाव में खरीदा गया है. प्रति क्विंटल 700 रूपये के हिसाब से लगभग तीन करोड़ रूपये का नुकसान होगा.


निर्यात में एक सप्ताह का छूट मांगा
कारोबारियों के मुताबिक निर्यात नीति में अचानक बदलाव से गेहूं कारोबार पर असर पड़ा है. इसका विरोध भी व्यापारियों द्वारा शुरू हो गया है. दलहन तिलहन महासंघ के प्रांत व्यापी आह्वान पर मंडी व्यापारी संघ ने 17-18 मई को सीहोर सहित जिलेभर की मंडी की नीलामी में हिस्सा नहीं लिया. महासंघ की मांग है कि सरकार को निर्यात में छूट के लिए 1 सप्ताह का समय देना चाहिए. 


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40,000 क्विंटल पोस्ट पर-व्यापारी संघ 
अनाज व्यापारी संघ अध्यक्ष हरीश राठौर बताते हैं कि, पहले फंसे हुए ट्रक खाली करवाने की व्यवस्था करनी थी. जिले का 40,000 क्विंटल गेहूं गुजरात के पोस्ट पर पड़ा है. निर्यात बंदी का सीधा असर ट्रांसपोर्टर और गाड़ी वालों पर भी पड़ा है. कोरोना काल के बाद ट्रांसपोर्ट और वाहन मालिक को अब दो पैसे कमाने का मौका मिला था क्योंकि अभी जो बाजार में भाड़े चल रहे थे वह पिछले 10 वर्षों में भी वाहन मालिक को कभी ऐसा मौका नहीं मिला. 


भाड़ा आधा हो गया-अनाज व्यापारी संघ 
निर्यात बंदी की वजह से जो भाड़े 350 रुपये प्रति क्विंटल सीहोर से कांडला को गए थे अब वह मात्रा 180 रूपये प्रति क्विंटल यानी आधी रह गई है जिसने गाड़ी वालों की कमर तोड़ कर रख दी. जिस तरह नोटबंदी का फैसला रातों-रात लेने का नुकसान जनता को काफी उठाना पड़ा था उसी प्रकार निर्यात बंदी अचानक करने के कारण इसका खामियाजा व्यापारी और ट्रांसपोर्टर को बहुत अधिक भुगतना पड़ेगा, इसके दुष्परिणाम आगे देखने को मिलेंगे.


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