सीहोर: ग्लोबल वार्मिंग से इस समय पूरी दुनिया परेशान है धरती लगातार गर्म हो रही है. इस वजह से गर्मी भी काफी पड़ती है. वहीं ज्यादा गर्मी से बचने के लिए लोग घरों से लेकर कार तक में एयर कंडीशन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह एयर कंडीशनर लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल रहे हैं और उन्हें कई तरह की बीमारियों से पीड़ित कर रहे हैं. इतना ही नहीं एयर कंडीशनर पर्यावरण पर भी विपरित असर डाल रहे हैं. ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग से बचने और मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए एक ऐसे घर की आवश्यकता है जो गर्मियों के दिनों में प्राकृतिक रूप से ठंडा और सर्दियों के दिनों में गर्म बना रहे.बहरहाल इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के ग्राम बिजोरी से हो चुकी है. दरअसल यहां स्थित सीता राम आश्रय गौशाला में देसी गाय के गोबर से ईटो बना कर उससे घर निर्माण किया जाता है. इन ईटों से बने घर गर्मियों में ठंडे और सर्दियो में गर्म रहते हैं.


गोबर की ईटों से बने घर लोगों को कई तरह की बीमारियों से बचाता है


हालांकि गौशाला से निकलने वाले गोबर से ईट बनाने का काम अभी छोटे स्तर पर किया जा रहा है लेकिन कुछ ही समय में गौशाला में बड़े स्तर पर गोबर से ईट बनाने का काम शुरू हो जाएगा.


सीताराम आश्रय के संचालक पंडित नरेश तिवारी बताते हैं कि अब तक गोबर से सिर्फ खाद बनाई जा रही थी लेकिन उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि ग्लोबल वार्मिंग के युग में गोबर से ईंट बनाकर उससे यदि घर का निर्माण किया जाए तो हर मौसम में घर लोगों को कई तरह की बीमारियों से बचाएगा.वही गोबर से बनी ईट से बनने वाले घरों में संक्रमण होने की संभावना भी भी बेहद कम हो जाती है. पंडित नरेश तिवारी कहते हैं कि कोरोना काल के समय से यह काम हम कर रहे थे. उस समय आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी और हम यह बैठे बैठे कुछ प्रयोग कर रहे थे.


गोबर से बनी ईट के मकान बनाने के ये हैं फायदे



  • गर्मियों के दिनों में जब जब तापमान 40 से 45 डिग्री के बीच में रहता है तब गोबर से बनी ईट के मकान के भीतर का तापमान लगभग 30 डिग्री सेल्सियस रहेगा.

  • सर्दियों के दिनों में इस मकान में गर्माहट बनी रहेगी और बाहरी सर्दी का एहसास घर के भीतर में बेहद कम होगा

  • डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छर इस घर में नहीं होंगे,

  •  भूकंप आदि का कोई प्रकोप आता है तो हल्की होने के साथ लाभदायक रहेंगी.


पशुपालकों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत- 


गौरतलब है कि ग्रामीण इलाकों में पशुपालक गोबर की मांग ना होने पर यूं ही फेंक देते हैं या फिर बेहद कम दाम पर खाद बनाने वाले लघु उद्योगों को देने को मजबूर होते हैं लेकिन सीता राम आश्रय गौशाला मध्य प्रदेश के पशुपालकों से बड़े स्तर पर गोबर की खरीदी कर ईट का निर्माण करेगी जिससे कि देसी गाय के पशुपालकों को आर्थिक मजबूती मिल सकती है.


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