Sehore News:  मध्यप्रदेश के कई जिलों में इस समय किसान चिंतित हैं क्योंकि मेहनत से बोई हुई सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल पीली पड़ने लगी है. बताया जा रहा है कि बुआई के समय 'जक' नहीं डालने से गेहूं में पीली पत्ती का रोग जोर पकड़ लेता है. किसान पीली पत्ती की रोकथाम के लिए उपायों की तलाश कर रहे हैं. सीहोर जिले में करीब 3 लाख 94 हजार हैक्टेयर में अकेले गेहूं की बोवनी की गई है. लेकिन गेहूं की फसल में जड़ माहू रोग देखा जा रहा है. इससे फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. जड़ माहू रोग का प्रकोप जिले की आष्टा, इछावर और सीहोर तहसीलों में अधिक देखा जा रहा है. वहीं नसरुल्लागंज और बुधनी तहसीलों में धान की खेती अधिक होती है. इसलिए इन क्षेत्रों में इस समय गेहूं की फसल की बोवनी की जा रही है. 


गेहूं की फसल को प्रभावित करने वाले जड माहू कीट, हल्के पीले, भूरे रंग का होता है और ये गेहूं के पौधे की जड़ में पहुंच कर रस चूसता रहता है. धीरे धीरे प्रभावित पौधे पीले पड़ने लगते हैं. इससे पौधे सूखने के अलावा कमजोर पड़ जाते जाते हैं, जिससे गेहूं के पौधे में कंसे कम निकलते हैं. इस कारण से गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है. गेहूं की फसल को इस रोग से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को कीटनाशकों के छिड़काव की सलाह दी है. 


ग्राम दिवडिया में रहने वाले किसान राकेश वर्मा, सतोष वर्मा ने बताया कि इस बार बरसात कम हुई है. इससे जल स्रोतों में पानी की कमी अभी से दिखाई देने लगी है. गेहूं की फसल शुरुआती दौर में ही जड माहू कीट की वजह से प्रभावित हो रही है. अगर दिसंबर और जनवरी के महीने में जल स्रोतों में पानी कम हो गया और किसान गेहूं की फसल के आखिरी समय में सिंचाई नहीं कर पाए तो उधर भी गेहूं की फसल प्रभावित होगी. इससे किसानों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. हालांकि किसान इस समय खेतों में सिंचाई कर खाद के छिड़काव में जुटे हुए हैं, लेकिन कई जगह गेहूं की फसल के पीली पड़ने से भी किसान चिंतित हो रहे हैं. 


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