Sehore News: मध्य प्रदेश का एकमात्र तुलसी आंगन मनरेगा पार्क चर्चा का विषय बना हुआ है. कब्जे की भूमि को मुक्त कराकर विभिन्न लघु उद्यम के साथ गोवंश की सुरक्षा करने का अद्भुत प्रयास है. मनरेगा योजना से बना आजीविका एकीकृत पार्क इछावर के भाऊखेड़ी में बना है. दिल्ली और मध्य प्रदेश समेत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने बधाई दी है. तुलसी आंगन मनरेगा योजना के तहत एक ही स्थान पर 14 से भी अधिक प्रोजेक्ट एक साथ चल रहे हैं.
अतिक्रमण हटाकर सरकारी जमीन के सदुपयोग का बेजोड़ संगम
जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर गौशाला का निर्माण किया गया है. इसका संचालन स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है. पहले शासकीय 27 एकड़ भूमि पर ग्राम के ही दबंग व्यक्तियों ने कब्जा कर लिया था. प्रशासन ने अतिक्रमण हटाकर बेजोड़ सदुपयोग किया है.
184 महिलाओं के स्व सहायता समूह को स्थाई आजीविका प्रदान करने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत हर्ष सिंह ने विस्तृत कार्य योजना बनाई और भूमि को मुक्त कराकर विकसित गौशाला का निर्माण किया. प्रथम चरण में इस स्थान पर गौशाला और चारागाह का निर्माण किया गया, साथ ही नाडेप के माध्यम से जैविक खाद निर्माण की व्यवस्था की गई. गौशाला बन जाने के बाद से लगभग 100 गोवंश रहने लगे. गाय के गोबर से गो काष्ठ का निर्माण किया जाता है. इसका प्रयोग अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में किया जाने लगा है.
एक लाख पचास हजार यादव मतदाता वाली इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं Akhilesh Yadav, ऐसा है जातिगत समीकरण
UP Election 2022: Gorakhpur से CM Yogi के खिलाफ इन्हें उम्मीदवार बना सकते हैं Akhilesh Yadav
तुलसी आंगन मनरेगा पार्क के निर्माण से स्वरोजगार का प्रोजेक्ट
दीपावली के समय में प्रदेश स्तर पर गोबर से बने दियों को बेचा जाता है. इससे महिला समूहों की आय में वृद्धि हुई है. गोमूत्र से कीटनाशक दवाई भी बनाई जा रही है. दूसरे चरण में इसी स्थान पर पोषण वाटिका, सामुदायिक वृक्षारोपण वन, निर्मल कूप, तुलसी आंगन, एवं मछली तालाब का निर्माण किया गया है और ऐसा अनुमान है कि इसकी वजह से महिला स्व सहायता समूह को लगभग 7 लाख की आय प्राप्त होगी. पोषण वाटिका गौशाला क्षेत्र में विकसित की जा रही है. उसमें विशेषकर थाई अमरूद, एप्पल बेर, सीताफल जैसे फलदार पेड़ों के साथ-साथ औषधीय पौधे अश्वगंधा, तुलसी और सब्जी लगाने का भी प्रयास किया गया है.
योजना के तृतीय चरण में सीएलएफ भवन रेस्टोरेंट, स्वच्छता परिसर, विशिष्ट प्रजाति कड़कनाथ मुर्गी के लिए पोल्ट्री फॉर्म, मशरूम का फार्म और औषधीय पौधों की खेती भी की जानी है. मध्यप्रदेश और ग्रामीण अंचलों के लिए गौशाला के साथ स्वरोजगार उत्पन्न करने का इछावर क्षेत्र में स्थित प्रोजेक्ट बेहद लाभदायक है. छोटे-छोटे स्व सहायता समूहों को आय का स्रोत के तौर पर अलग पहचान बन उभरा है. मनरेगा पार्क का केंद्र सरकार की टीम ने निरीक्षण भी किया और अन्य जिलों के सीईओ रोज देखने पहुंच रहे हैं.