Sehore: 'अधिकारी नहीं सुनते हमारी बात', सीहोर के 3 विधायकों ने प्रभारी मंत्री के सामने रोया अपना दुखड़ा
MP News: मध्य प्रदेश के सीहोर जिला पंचायत की बैठक बुलाई गई जिसमें प्रभारी मंत्री प्रभूराम चौधरी ने भी हिस्सा लिया. इस बैठक में विधायकों ने अपनी-अपनी समस्याएं उनकी सामने रखीं.
Sehore News: प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभूराम चौधरी (Prabhuram Chaudhary) ने सीहोर (Sehore) के जिला पंचायत सभाकक्ष में बीजेपी की कोर कमिटी की बैठक की. इस बैठक में विभागीय योजनाओं की समीक्षा की गई. इस बैठक में पूर्व राजस्व मंत्री और बीजेपी विधायक करण सिंह वर्मा (Karan Singh Varma), सीहोर और आष्टा के विधायक भी शामिल हुए. विधायकों ने प्रभारी मंत्री के सामने अपना दुखड़ा रोया. उन्होंने शिकायत की कि जिले के अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते.
तीनों विधायक जिले के अधिकारियों से परेशान दिखे. उन्होंने मंत्री से शिकायत की कि विकास और निर्माण कार्य के प्रस्ताव उनसे बिना पूछे ही शासन को भेज दिए जाते हैं. अधिकारी हमारी चिट्ठी का जवाब नहीं देते और फोन भी नहीं उठाते हैं. समीक्षा बैठक के दौरान प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभूराम चौधरी के सामने अपना दुखड़ा सुनाते हुए सीहोर विधायक सुदेश राय ने कहा कि किसी काम के लिए अधिकारियों को मेसेज करते हैं तो उनका जवाब ही नहीं मिलता है. पत्र लिखने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, इनसे अच्छे तो कलेक्टर है, कम से कम फोन का जवाब तो देते हैं.
सीनियर विधायक की यह पीड़ा
इसी तरह मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक करण सिंह वर्मा ने कहा, 'मेरे यहां के प्रस्ताव कब चले जाते हैं, हमें पता हीं नहीं चलता. जल जीवन मिशन के तहत कौन-कौन से गांव में नल जल योजना का काम होगा, मुझे पता ही नहीं है. गांवों में दौरा करने जाते हैं, ग्रामीण पूछते हैं, कब पानी मिलेगा, मैं बता ही नहीं पताा हूं. मुझे लिस्ट तो दे दिया करें. पहले भोपाल से 125 गांव की लिस्ट दे दी, बाद में दूसरी लिस्ट आई उसमें 138 गांव बता दिए.'
आष्टा विधायक की यह पीड़ा
प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभूराम चौधरी के समक्ष दुखड़े की इस श्रंखला में आष्टा विधायक ने कहा कि हमारे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कानियाखेड़ी में जल संसाधन विभाग की तरफ से जलाशय का निर्माण किया जा रहा है. इस जलाशय के डूब क्षेत्र में चार गांव की जमीन जा रही है. जलाशयों में जिन गांवों की जमीन जा रही है उन्हें गांवों को इससे पानी नहीं मिलेगा. इस योजना में कम से कम ऐसा तो प्रावधान किया जाए कि जिन गांवों की जमीन जा रही है, उन गांवों के किसानों को भी पानी मिल सके.
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