(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP News: नियुक्ति के लिए तपती गर्मी में अनशन कर रहे हैं ओबीसी कोटे के चयनित शिक्षक, क्या है पूरा मामला
MP News: चयनित शिक्षकों का कहना है कि आरक्षण को लेकर चल रही रस्साकशी में उनका क्या दोष है. जब वे चयनित और मापदंडों पर खरे उतर रहे हैं तो उन्हें नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है.
भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में संविदा शिक्षक वर्ग 1, 2 और 3 की भर्ती परीक्षा पिछले 3 साल से केवल विवादों का ही दंश झेल रही है. कहीं चयन को लेकर अनियमिताएं हैं तो कहीं विषयों में विसंगतियों के कारण युवा भविष्य दांव पर लगा हुआ है. ऐसे में एक मामले को लेकर ओबीसी (OBC) के चयनित शिक्षक (Selected Teacher) तपती हुई गर्मी के बीच लोक शिक्षण संचनालय भोपाल (Bhopal) के बाहर बिना खाए-पिए अनशन कर रहे हैं.
चयनित शिक्षकों को अनशन पर क्यों बैठना पड़ा है
तपती गर्मी और लू की चपेट में आने के कारण कई शिक्षकों का स्वास्थ्य बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है. अपने परिवार को छोड़कर वे धरने पर बैठे हुए हैं, केवल इस आस में कि शायद सरकार उनकी अरदास सुन ले. लेकिन शायद जिम्मेदार ऐसी जिद पर अड़े बैठे हैं, जिन्हें चयनित शिक्षकों से बात करने का भी समय नहीं है.
मिली जानकारी के मुताबिक 2018 में संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा का विज्ञापन निकला था. इसकी परीक्षा 2019 में कराई गई. इस परीक्षा में पास हुए शिक्षकों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी हुआ. इसके बाद उन्हें आस थी कि अब उन्हें नौकरी अवश्य मिल जाएगी, लेकिन ओबीसी आरक्षण पर रोक के तर्क ने उनके जीवन को दांव पर लगा दिया.
नियुक्ति न करने के पीछे क्या है सरकार की दलील
चयनित शिक्षकों का कहना है कि आरक्षण को लेकर चल रही रस्साकशी में उनका क्या दोष है. जब वे चयनित और मापदंडों पर खरे उतर रहे हैं तो उन्हें नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है. ऐसे में अपनी जायज मांगों को लेकर वे अनशन पर बैठे हुए हैं.
जब इस संवाददाता ने अनशन स्थल का दौरा किया तो पता चला कि मध्य प्रदेश के कोने-कोने से आए हुए महिला-पुरुष उम्मीदवार यहां धरने पर बैठे हुए हैं. इनमें सीहोर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, उमरिया, कटनी, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल जैसे जिले से आए अभ्यर्थी शामिल हैं. धरनास्थल पर उनके लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके बाद भी वो सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए इस भीषण गर्मी में अनशन कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों की नींद अबतक नहीं टूटी है.
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