Shahdol News: 'चाय पियो और कप खा जाओ', शहडोल के दो युवाओं के इस स्टार्टअप आइडिया ने सोशल मीडिया पर मचाई धूम
Shahdol News: शहडोल के दो युवाओं का स्टार्टअप बहुत जल्द मशहूर हो गया है. उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल स्टार्टअप का नाम दिया है 'अल्हड़ की कुल्हड़ चाय'. नाम के अनुरूप अल्हड़ की चाय का काम भी अल्हड़ है.
Shahdol News: 'चाय पियो और कप खा जाओ', सुनकर अटपटा जरूर लग सकता है लेकिन मध्यप्रदेश के शहडोल में आजकल लोग सचमुच ऐसा कर रहे हैं. शहडोल के दो युवाओं का स्टार्टअप बहुत जल्द मशहूर हो गया है. उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल स्टार्टअप का नाम दिया है 'अल्हड़ की कुल्हड़ चाय'. नाम के अनुरूप अल्हड़ की चाय का काम भी अल्हड़ है. आइसक्रीम के कॉन की तरह लोग चाय का कप भी चट कर जाते हैं.
अभी तक आपने लोगों को कांच के गिलास, कप, कुल्हड़ या डिस्पोजेबल गिलास में चाय पीते हुए देखा होगा, लेकिन चाय के कप को बाद में खाते देखा है. अगर नहीं तो आइए आपको शहडोल की एक चाय दुकान का पता बताते हैं. दुकान पर चाय पीने के बाद लोग खाली कप को खा जाते हैं. चाय का स्टार्टअप शहडोल के मॉडल रोड पर है. दो युवा साथियों रिंकू अरोरा और पीयूष कुशवाहा ने अल्हड़ की कुल्हड़ चाय नाम से एक नया स्टार्टअप शुरू किया है.
अनोखा स्टार्टअप कॉन्सेप्ट 'चाय पियो, कप खा जाओ' की चर्चा
20 रुपये कीमत वाली स्पेशल चाय में वेफर से बना कप दिया जाता है. कोन वाली आइसक्रीम की तरह चाय पीने के बाद लोग कप को खा भी जाते हैं. एक साथ स्कूलिंग करने वाले रिंकू और पीयूष का कहना है कि इसे वेफर्स कप भी कहा जाता है. इससे कचरा नहीं होता. उनका नया कॉन्सेप्ट है लोगों को पसंद आ रहा है. दोनों युवाओं का अनोखा स्टार्टअप कॉन्सेप्ट 'चाय पियो, कप खा जाओ' शहडोल सहित देशभर के सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. दोनों को स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया पुणे से मिला था. उन्होंने बताया कि चाय का फ्लेवर खुद से बनाते हैं और खास चाय का रिस्पॉन्स बहुत अच्छा मिल रहा है.
परिवार सहित लोग पहुंच रहे शहडोल के मॉडल रोड चाय पीने
लोग परिवार सहित चाय का आनंद लेने आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर चर्चा सुनकर लोग शहडोल के मॉडल रोड की इस दुकान को ढूंढ कर पहुंच रहे हैं. चाय पीने आए आदित्य पांडेय ने कहा कि अमूमन लोग चाय पीने के बाद प्लास्टिक या थर्मोकोल का डिस्पोजल कप फेंक देते हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला कचरा फैलता है. वेफर्स कप से ना तो कचरा फैलेगा और ना ही पर्यावरण को नुकसान होगा. लोग आएंगे, चाय पियेंगे और कप खा जाएंगे. यानी आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत.
Corona Vaccine का फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश, मुंबई में 2 हुए गिरफ्तार