Shahdol News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बहुल जिले शहडोल (Shahdol) से एक और चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में यहां के एक सरकारी अस्पताल में सिक्युरिटी गार्ड डॉक्टर बनकर इलाज करता देखा जा रहा है. इस बेशर्म हकीकत पर प्रशासनिक अमला डॉक्टरों की कमी का बहाना करके पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है. 


वैसे ये किसी से छिपा नहीं है कि एमपी में सरकारी अस्पतालों के हालत बद से बदतर है. शहडोल जिले में तो आलम यह है कि करोड़ों की लागत से आलीशान अस्पताल भवन तो बन गए है, लेकिन वहां इलाज करने वाले डॉक्टर ही नहीं है. ऐसे में अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड दूर दराज से आए मरीजों का इलाज कर रहे हैं. हैरान कर देने वाला यह मामला शहडोल जिले में छत्तीसगढ़ बॉर्डर के समीप झिकबिजुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. इस अस्पताल में डाक्टर नहीं होने से मरीजों का इलाज एक सिक्योरिटी गार्ड कर रहा है. 



मरीज का बीपी चेक कर रहा सिक्योरिटी गार्ड
शहडोल संभागीय मुख्यालय से 85 किलो मीटर दूर झिकबिजुरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एमपी के 100 से अधिक गांव के लोगों के अलावा छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती इलाकों से भी लोग इलाज कराने आते हैं. डॉक्टर नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में या तो वापस लौटना पड़ता है या फिर प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. कई मरीजों का इलाज अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड कर रहे हैं. वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक सिक्योरिटी गार्ड मरीज का बीपी ले रहा है. 


रो रहे डॉक्टरों की कमी का रोना
इतना ही नहीं वो बीपी लेने के बाद पर्चे पर दवाएं भी लिख रहा है. बताया जाता है कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से आम आदमी के साथ पुलिस विभाग को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पुलिस को आपराधिक मामले में एमएलसी कराने के लिए जैतपुर या फिर बुढार जाना पड़ता है. वहीं, इस मामले में जिले के जिम्मेदार अधिकारी पूरे प्रदेश में डॉक्टरों की कमी का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.


वहीं शहडोल जिले के मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी डॉ आरएस पांडे का कहना है कि डॉक्टर की नियुक्ति के प्रयास चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि संचालनालय को पत्र लिखा गया है. काउंसलिंग होते ही डॉक्टरों की पदस्थापना कर दी जाएगी. नियमानुसार किसी भी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कम से कम आठ डाक्टरों की पदस्थापना होनी चाहिए. सुबह, दोपहर, शाम और रात को डाक्टर ड्यूटी पर रहना चाहिए. इसके साथ ही वार्डबॉय, टेक्नीशियन और नर्स की भी नियुक्ति होनी चाहिए.


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