Shanichari Amavasya: भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त दिन शनिवार को है और शनिश्चरी अमावस्या शिव योग में इस बार 300 साल बाद पड़ रही है. इस अमावस्या में सिद्ध पितृ अमावस्या का योग बनने से पितरों की कृपा भी बरसने वाली है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की शनिश्चरी अमावस्या इस बार मघा नक्षत्र, शिव योग की साक्षी का संयोग बना है. क्योंकि सिंह राशि के चंद्रमा का परिभ्रमण रहेगा, इस दृष्टि से सूर्य चंद्र का यूति संबंध विशेष प्रभाव वाला माना जाता है. इसके साथ ही शनिश्चरी अमावस्या का तिथि योग अपने आप में विशिष्ट है.
ज्योतिष शास्त्र में साल पर्यंत आने वाली 12 अमावस्या में शनिश्चरी अमावस्या असली विशेष मानी गई है. इस दिन अलग-अलग बांहों में अलग-अलग प्रकार के योग संयोग बनते हैं. आमतौर पर शनिश्चरी अमावस्या साल में दो बार आती है. पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक ग्रह गोचर में शनिश्चरी अमावस्या के दिन चार ग्रहों के मुख्य योग बनेंगे. जिनमें सूर्य स्वयं की राशि सिंह, बुद्ध स्वयं की राशि कन्या, गुरु स्वयं के राशि मीन तथा शनि सेन की राशि मकर में विद्यमान रहेंगे.
कर्ज और क्लेश से मिलेगी मुक्ति
पंडित अमर डिब्बे वाला के मुताबिक इस बार शनिदेव सभी राशियों पर कृपा बरसाने वाले हैं. शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव के दर्शन करने और उनका पाठ करने से घर में सुख, शांति और कर्जे से मुक्ति मिलेगी. इतना ही नहीं प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी. शनिश्चरी अमावस्या का दुर्लभ संयोग तीन सदी के बाद आ रहा है. ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं को शनिदेव को तेल चढ़ाने और काली तिल्ली का दान करने आदि से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी. इसके अलावा पवन पुत्र हनुमान की आराधना करने से भी शनिदेव प्रसन्न होंगे.
तीर्थ नदियों में होगा सामूहिक स्नान
शनिश्चरी अमावस्या पर तीर्थ नगरी में स्नान करने का भी अपना महत्व है, इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कुदृष्टि से बचाव होता है. मध्य प्रदेश में इन दिनों भारी बारिश के कारण नदियों में बाढ़ चल रही है. इसी के चलते नदियों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं. शनिश्चरी अमावस्या पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु नर्मदा, शिप्रा नदी में स्नान करते हैं.