MP News: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद को लेकर उठे विवाद पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने भी बड़ा बयान दिया है. जबलपुर में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि यह भक्तों के भावनाओं के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ हुआ है. भगवान के प्रसाद में अपवित्र घटक मिलना समस्त हिंदू से जन समुदाय के प्रति अपराध है.
शंकराचार्य ने कहा कि इस मामले पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच होनी चाहिए और दोषी को तत्काल गिरफ्तार कर सख्त सजा देनी चाहिए. यह अपराध किसी की हत्या करने से भी बड़ा अपराध है. दंड ऐसा मिलना चाहिए कि भविष्य में ऐसा मामला किसी और मंदिर में ना हो सके. इसके साथ-साथ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि देश के सभी मंदिरों के प्रबंधन से सरकार का हस्तक्षेप पूरी तरह से खत्म होना चाहिए.
क्योंकि मंदिरों में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन केवल संस्कृति से जुड़े लोग ही कर सकते हैं. मंदिरों की पूजा-पद्धति में सरकार का नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए और मंदिरों का प्रबंध धर्माचार्यों के हाथों में दिया जाना चाहिए ताकि मंदिरों की परंपरा और संस्कृति को बचाया जा सके.
शंकराचार्य ने कहा कि तिरुमला मंदिर में जो हुआ है वही बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में हो रहा है यहां भी सरकार ने पारंपरिक लोगों को हटाकर अब सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर रही है ऐसे में धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ होना सामान्य बात हो जाएगी क्योंकि जो लोग मंदिरों में काम करेंगे वह आस्था से नहीं बल्कि नौकरी करेंगे.
शंकराचार्य ने आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू का अभिनंदन किया है. शंकराचार्य ने कहा कि आरोपों में अगर सच्चाई नहीं होती तो अब तक चंद्रबाबू नायडू का घेराव हो चुका होता.
आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में उपयोग होने वाले घी की जांच रिपोर्ट में तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाने की पुष्टि हुई है.
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