नर्मदापुरम: JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय जनता दल के नेता शरद यादव का निधन गुरुवार रात हो गया.वो नर्मदापुरम के ग्राम आंखमऊ के रहने वाले थे. उनकी स्कूली शिक्षा ग्राम आंखमऊ के सरकारी स्कूल में हुई थी. इसके बाद वो आगे कालेज की पढ़ाई करने के लिए जबलपुर चले गए थे. जबलपुर से ही शरद यादव जी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ और राजनीति में वह इतने आगे बढ़े कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान उन्होंने संभाली. गुरुवार रात शरद यादव जी का हृदयाघात से निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार 14 जनवरी को उनके गृह गांव आंखमऊ में होगा. उनका शव हवाई जहाज से भोपाल लाया जाएगा. वहां से उसे एंबुलेंस के जरिए उनके पैतृत गांव पहुंचाया जाएगा.
क्या बताया भजीते ने
शरद यादव के भतीजे शैलेस यादव ने बताया कि गुरुवार रात ही उनके पिता और शरद यादव जी के भाई एसपीएस यादव जी से फोन पर बात हुई थी. उस समय शरद जी सकुशल थे. लेकिन कोरोना काल के बाद के उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया था. उसके बाद से ही वो संघर्ष कर रहे थे.शैलेष ने बताया कि 14 जनवरी को उनका अंतिम संस्कार गृह गांव आंखमऊ में किया जाएगा. शायद शुक्रवार रात तक शरद यादव जी का पार्थिव शरीर आंखमऊ लाया जाएगा. शरद जी के निधन के बाद उनके ग्राम आंखमऊ में शोक की लहर दौड़ गई है.
शरद यादव की राजनीतिक सोच
शरद यादव के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी समेत देश के तमाम नेताओं ने शोक जताया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर आदि ने शरद यादव के दिल्ली स्थित घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
जेपी, लोहिया, मधु दंडवते, मधु लिमये जैसे नेताओं से सियासी सीख लेकर समाजवादी नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले शरद यावद की सोच भी वैसी ही थी.उनका कहना था कि सरकार उस नीति पर अमल करे,जिसमें गरीब, दलित, पिछड़ी जातियों और मजदूरों का भला हो सके.उनकी भलाई पर वह जोर इसलिए देते थे कि ऐसे लोग खुद अपनी भलाई नहीं कर सकते हैं.अमीर और शिक्षित लोग तो अपना भला कर लेते हैं,लेकिन समाज एक बड़ा तबका खुद के लिए भी अच्छा नहीं कर पाता.ऐसे में सरकार को उन्हीं लोगों की चिंता करनी चाहिए.
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