Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) का पर्व चल रहा है. भक्त प्राचीन मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं, तो कुछ सिद्ध मंदिरों में अपनी-अपनी मनोकामना लेकर देवी की शरण में पहुंच रहे हैं. ऐसे ही एक शक्ति पीठ की हम बात कर रहे हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नलखेड़ा (Nalkheda) में पीतांबरा सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर (Maa Baglamukhi Mandir) है. यहां त्रिशक्ति मां विराजित हैं. बीच में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी और बाएं मां सरस्वती हैं. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दो साल बाद नवरात्रि पर्व के दौरान यहां देश के कई स्थानाें के साथ ही मध्य प्रदेश से भी माता भक्त लाखों की संख्या में पहुंच रहे हैं. साथ ही यहां अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए विशेष हवन अनुष्ठान आदि संपन्न करवा रहे हैं.
यह अनादि काल से ऋषि, मुनियों, तपस्वियों और देवताओं की कर्मभूमि मानी जाती है. मध्य प्रदेश के आगर जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे बगलामुखी माता का मंदिर है. यहां पर तंत्र साधना के साथ मिर्ची यज्ञ और ऐसे अनुष्ठान होते हैं, जो आम मंदिरों में नहीं होते हैं. शत्रु के नाश, कोर्ट केस के निपटारे के लिए विशेष पूजन होता है. निसंतान दंपत्ति भी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. आम भक्त ही नहीं वीवीआईपी भी साल भर पर यहां पर पूजन करने आते हैं. यही कारण है कि समूचे क्षेत्र में चमत्कारी धार्मिक स्थानों की भरमार है.
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बगलामुखी का है विशेष महत्व
मां बगलामुखी का इतिहास बहुत पुराना है. यहां के लोगों को अनुसार साल के दोनाें नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में भक्ताें का तांता लगा रहता है. वहीं शारदीय और चैत्रीय नवरात्रि के दौरान तंत्र साधना के लिए यहां तांत्रिकों का जमावड़ा भी लगा रहता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के दो साल बाद शारदीय नवरात्रि पर्व पर भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. हवन अनुष्ठान कार्य भी चल रहे हैं, जो नौ दिन चलते हैं. इसी के चलते यह माना जा रहा है कि हजारों भक्तगण मां बगलामुखी के दर्शन करने मंदिर पहुंचा रहे हैं. प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है. उनमें से एक है मां बगलामुखी. मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियाें में सबसे विशिष्ट है. शास्त्र के अनुसार इस देवी की साधना आराधना से शत्रुओं का स्तम्भ हो जाता है. यह साधक को भोग और मोक्ष दोनाें ही प्रदान करती हैं.