विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के दरबार में श्रद्धालुओं के महादर्शन का सिलसिला जारी है.मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर कुछ परंपराएं बदल जाती है.इनमें प्रमुख रूप से भस्म आरती की परंपरा है महाशिवरात्रि के अगले दिन भस्म आरती सुबह के स्थान पर दोपहर 12:00 बजे होती है.इन परंपराओं को लेकर आज से ही तैयारियां शुरू हो गई है. 


राजाधिराज का जलाभिषेक


शनि प्रदोष पर आज महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है.भगवान के दरबार में लगातार जल धाराओं से राजाधिराज का अभिषेक हो रहा है. इसके अलावा दूध, दही, शहद, शक्कर सहित पंचामृत से पूजन भी जारी है.भगवान पर सुगंधित इत्र और फलों के रस से भी अभिषेक हो रहा है.महाकालेश्वर मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में भस्मारती से लेकर अगले दिन दोपहर में होने वाली भस्मारती तक विशेष रूप से दर्शन का महत्व शनि प्रदोष की वजह से महाशिवरात्रि पर्व का महत्व और भी कई गुना बढ़ गया है.भगवान महाकाल के दर्शन करने मात्र से मनोकामना पूरी होती है. इसके अलावा अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है.


क्या कहना है पुजारी का


महाकालेश्वर मंदिर में पंडित और पुरोहित परिवार महाशिवरात्रि पर्व को लेकर कई दिनों पहले से तैयारियां करता है. भगवान महाकाल का रात्रि में सेहरा सजाया जाएगा. रविवार सुबह सेहरे के दर्शन और आरती होगी.इसके बाद दोपहर में भस्म आरती की जाएगी.दोपहर में होने वाली भस्म आरती के बाद महाशिवरात्रि पर्व का समापन होगा.


जो महाकालेश्वर मंदिर नहीं आ पाएं हैं , वो क्या करें


महाकालेश्वर मंदिर के भूषण पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान को जल और फल अर्पित करने का विशेष महत्व है.जो श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं, वे अपने निकटतम शिव मंदिर में जाकर जलधारा से भगवान को स्नान कराएं.इसके बाद उन पर फूल और फल अर्पित करें.इससे मनोकामना पूरी होने के साथ-साथ पुण्य फल की प्राप्ति होगी.महाशिवरात्रि पर्व पर शिवलिंग बेर और धतूरा चढ़ाने का भी विशेष महत्व है. 


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