MP Politics: मंत्रिमंडल का विस्तार कर भी क्षेत्रीय असंतुलन नहीं दूर कर पाए सीएम शिवराज! क्या असर पड़ेगा चुनाव पर?
MP News: जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी और छिंदवाड़ा से एक भी मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में शामिल नहीं है. जबकि बालाघाट से ही तीन मंत्री बनाए गए हैं.
Bhopal News: मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouham) सरकार का शनिवार को विस्तार हुआ. इसमें तीन नए मंत्रियों को शामिल किया गया. इसमें दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री शामिल हैं. इस विस्तार के बाद भी शिवराद कैबिनेट में क्षेत्रिय असंतुलन की बात की जा रही है. सबसे अधिक असंतुलन महाकौशल में देखा जा सकता है. वहां के केवल एक जिले से ही तीन मंत्री हैं और सात जिलों का प्रतिनिधित्व कम है.
कहां कहां है असंतुलन
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस विस्तार के बाद में शिवराज सरकार में क्षेत्रीय संतुलन नहीं बना है. उनका कहना है कि विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और कैबिनेट मंत्री बनाए गए राजेंद्र शुक्ल को मिला लें तो तीन मंत्री हैं. जबकि महाकौशल के आठ जिलों में से केवल बालाघाट से दो मंत्री गौरिशंकर बिसेन और रामकिशोर कांवरे हैं. वहीं प्रदीप जायसवाल को खनिज निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी और छिंदवाड़ा से एक भी मंत्री नहीं हैं.जबकि ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और मालवा-निमाड़ इलाके को पर्याप्त प्रतिनिधित्य मंत्रिमंडल में दिया गया है.
क्या होगा चुनाव पर असर
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक इसका नुकसान पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है. जातिय समीकरण तो माना जा सकता है लेकिन क्षेत्रीय संतुलन अभी भी नहीं बन पाया है. नेताओं का कहना है कि जितने कम समय के लिए मंत्री बनाए गए हैं, इसमें मौजूदा मंत्रिमंडल में न तो फेरबदल हो सकता था और न किसी को हटाया जा सकता था. मंत्रिमंडल में चार पद रिक्त थे, तीन को भर दिया गया है. जिनको मंत्री बनाया गया है, इतने कम समय में वो केवल अपनी सीट ही मजबूत कर सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि अगर यह विस्तार एक साल पहले हुआ होता तो उन लोगों की छुट्टी की जा सकती थी, जिन्हें पार्टी फिर टिकट नहीं चाहती है. लेकिन अब तो इसी समीकरण के साथ चुनाव मैदान में जाना होगा.
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