Shivraj Singh Chouhan on MP Cabinet Expansion: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तीन विधायकों को मंत्री के रूप में शामिल करके अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ बीजेपी ने तीन महीने से भी कम समय में होने वाले चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कोशिश की है. राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सुबह करीब नौ बजे यहां राज भवन में तीन विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई.


पूर्व मंत्री, ब्राह्मण नेता और विंध्य क्षेत्र के रीवा से चार बार के विधायक राजेंद्र शुक्ला, महाकौशल क्षेत्र के बालाघाट से सात बार के विधायक एवं मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन और बुंदेलखंड क्षेत्र के टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से विधायक राहुल लोधी ने मंत्री पद की शपथ ली. लोधी पहली बार विधायक बने हैं. शपथ ग्रहण समारोह के बाद एक अन्य कार्यक्रम से इतर मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव से लगभग 75 दिन पहले मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर पत्रकारों से कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव के बाद भी प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने वाली है.


बुंदेलखंड के मंत्रियों की संख्या बढ़कर पांच 
इसके साथ ही सीएम शिवराज के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में अब कुल 34 सदस्य हो गए हैं. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक यह संख्या 35 तक जा सकती है. राज भवन के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्ला (59) और बिसेन (71) ने कैबिनेट मंत्री के रूप में, जबकि लोधी (46) ने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली. हालांकि, तीनों को अभी विभाग का आवंटन नहीं किया गया है.


लोधी बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती के भतीजे हैं. वहीं, बिसेन और लोधी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी मध्य प्रदेश की आबादी में 45 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है. शुक्ला के शामिल होने से मंत्रिमंडल में विंध्य क्षेत्र के मंत्रियों की संख्या चार हो जाएगी, जबकि बिसेन के आने से महाकौशल इलाके के मंत्रियों की संख्या दो और लोधी के जुड़ने से बुंदेलखंड के मंत्रियों की संख्या पांच हो जाएगी.


मुख्य मुद्दा जातिगत समीकरणों को संतुलित करना
बीजेपी सूत्रों ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर से निपटने, जातिगत समीकरणों को संतुलित करने और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की सिफारिश पर कैबिनेट विस्तार किया गया है. इससे पहले, शिवराज कैबिनेट का आखिरी विस्तार जनवरी 2021 में हुआ था. शनिवार को किए गए विस्तार के बाद भी, कैबिनेट में एक और मंत्री के लिए जगह बची है. मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या सदन का 15 प्रतिशत हो सकती है और मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य हैं.


राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल करने से बीजेपी को विंध्य क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी, जहां पार्टी विधायक और एक मजबूत ब्राह्मण नेता नारायण त्रिपाठी द्वारा समर्थित नया राजनीतिक दल विंध्य जनता पार्टी (वीजेपी) पहली बार चुनाव लड़ेगा। वीजेपी विंध्य क्षेत्र की सभी 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है. 


जनता की नाराजगी दूर करना चाहती है बीजेपी
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र में 24 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस केवल छह सीटें हासिल कर सकी थी. इस बार बीजेपी को विंध्य क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर से निपटना है. इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (आप) वहां पैठ जमाने की कोशिश कर रही है. इसी तरह, बिसेन के शामिल होने से उन लोगों की नाराजगी दूर होने की संभावना है, जो महसूस करते हैं कि बीजेपी ने उनकी उपेक्षा की है. उन्होंने कहा कि बिसेन से पहले महाकौशल क्षेत्र से केवल एक ही मंत्री था. पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा था.


पिछले चुनाव में महाकौशल क्षेत्र की 38 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 24 पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को 13 सीटें हासिल हुई थीं. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में गई थी. लोधी के शामिल होने से उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे बुंदेलखंड क्षेत्र में भी बीजेपी को फायदा हो सकता है. पार्टी ने पिछले चुनाव में 29 सीटों वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था. उसे 15 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को नौ सीटों से संतोष करना पड़ा. एक-एक सीट समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के खाते में गई थी. ओबीसी में लोधी समुदाय की बड़ी हिस्सेदारी है और वह ग्रामीण मध्य प्रदेश में अच्छा-खासा प्रभाव रखता है.


बीजेपी ने 2003 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी. तब से दिसंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच 15 महीने की अवधि को छोड़कर, जब कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में सत्ता में थी, बीजेपी राज्य में सत्ता पर काबिज है. 2018 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 230 सीटों में से 114 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी 109 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस ने निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों के समर्थन से कमलनाथ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई थी. हालांकि, यह सरकार 15 महीने बाद गिर गई थी, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार कई कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. इससे शिवराज के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ था.


यह भी पढ़ें: MP Cabinet Expansion: दो OBC और एक ब्राह्मण मंत्री, BJP को मिलेगा कितना फायदा? शिवराज कैबिनेट के विस्तार के मायने