Ujjain News: सियासी दांवपेच के बीच पिछले कई सालों से मध्य प्रदेश के कई विकास प्राधिकरण में नियुक्तियां नहीं हो पा रही थीं. चुनावी साल में सरकार ने एक बार फिर अपने पुराने चेहरों को आगे लाते हुए प्राधिकरण में नियुक्तियां करना शुरू कर दी हैं. हालांकि इन नियुक्तियों से सिंधिया समर्थकों में मायूसी दिखाई दे रही है. वहीं शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) की सरकार चुनावी साल में अपने पुराने चेहरों को आगे लाने की कोशिश कर रही है.


कहां कहां बनाए गए हैं विकास प्राधिकरण


शहर के विकास के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, देवास, जबलपुर, सिंगरौली, कटनी, अमरकंटक और रतलाम में विकास प्राधिकरण बनाए गए हैं.इन विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल की नियुक्ति सरकार की ओर से की जाती रही है. लेकिन सियासी दांवपेच के चलते लंबे अरसे से कई शहरों में विकास प्राधिकरण अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पा रही थी.शिवराज सरकार ने कुछ दिनों पहले इंदौर सहित कुछ अन्य शहरों में प्राधिकरण में नियुक्तियां करते हुए इस बात के संकेत दे दिए थे कि आने वाले समय में और भी विकास प्राधिकरण के पद भरे जाएंगे.इसी कड़ी में सरकार ने उज्जैन संभाग में दो विकास प्राधिकरण की नियुक्ति पत्र जारी किए हैं. उज्जैन में श्याम बंसल को प्राधिकरण अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं रतलाम में अशोक पोरवाल को प्राधिकरण अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया है.इन नियुक्तियों से सिंधिया समर्थकों में मायूसी है.सिंधिया समर्थक भी प्राधिकरण अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल थे. 


सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है उज्जैन


धार्मिक नगरी उज्जैन में कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया परिवार ने अपने कई खास समर्थकों को कांग्रेस से टिकट दिलवाया.ग्वालियर के बाद सिंधिया परिवार का लगाव सबसे ज्यादा उज्जैन से रहा है. इसलिए यह माना जा रहा था कि उज्जैन में विकास प्राधिकरण की कुर्सी सिंधिया समर्थक नेता को मिल सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.पूर्व जिला अध्यक्ष श्याम बंसल को प्राधिकरण अध्यक्ष बनाकर एक बार फिर शिवराज सरकार ने पुराने चेहरों को आगे लाने की कोशिश की है.इसी तरह रतलाम में भी अशोक पोरवाल को प्राधिकरण अध्यक्ष बनाया गया है.अशोक पोरवाल को पूर्व महापौर का टिकट दिया गया था लेकिन मंथन के बाद प्रत्याशी बदल दिया गया था. 


कमलनाथ नहीं कर पाए थे नियुक्तियां


प्राधिकरण की नियुक्तियों को लेकर बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी काफी परेशान रही है.कमलनाथ सरकार अपने कार्यकाल के दौरान प्राधिकरण अध्यक्ष उपाध्यक्ष और संचालक मंडल की कुर्सियों को नहीं भर पाई थी.इसके लिए एक दो नहीं बल्कि कई वजह मानी जाती रही है.प्राधिकरण अध्यक्ष की कुर्सी प्रभावशाली होने के साथ-साथ शहर के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण पद है.कांग्रेस में भी कुर्सी के कई दावेदार होने की वजह से कांग्रेस आखरी तक फैसला नहीं ले पाई थी.अब शिवराज सरकार ने भी चुनाव के 6-7 महीने पहले प्राधिकरण में नियुक्ति करना शुरू किया है. 


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