CM Shivraj Singh Chouhan Exclusive Interview: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं और राजनीतिक सरगर्मियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. ये वही समय है जब उन राजनीतिक मुद्दों की याद फिर ताजा हो रही है, जिनकी वजह से मध्य प्रदेश में तख्तापलट की स्थिति पनपी थी. एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन मुद्दों से जुड़े ऐसे कई सवालों का जवाब दिया, जिनके बारे में जानने के लिए जनता उत्सुक है.
साल 2018 में मध्य प्रदेश, राजस्थान औऱ छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए और तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी. हालांकि, साल 2020 में कुछ ऐसा हुआ कि मध्य प्रदेस में बीजेपी की सरकार लौट आई. क्या ये बीजेपी का कोई खुफिया ऑपरेशन था, जिसके तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और अचानक प्रदेश में तख्तापलट हो गया? इसपर जवाब देते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ऐसा कोई खुफिया ऑपरेशन नहीं हुआ था. ये सब कांग्रेस का आंतरिक मामला था और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी मर्जी से फैसले लिए.
इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छोड़ी कांग्रेस
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'उनकी पार्टी (कांग्रेस) में झगड़ा हुआ, ज्योतिरादित्य सिंधिया अलग हुए और उनके नेतृत्व में कई नेता पार्टी से अलग हो गए और फिर हमारे साथ आए. ये कांग्रेस का आंतरिक मामला था कि वे लोग अपनी पार्टी नहीं संभाल पाए. इसमें कुछ खुफिया नहीं था.' सीएम शिवराज ने आगे कहा, 'कमलनाथ को जो वादे पूरे करने थे, वे नहीं कर रहे थे. सिंधिया को सम्मान नहीं मिल रहा था. उन्होंने तय कर लिया कि ऐसी पार्टी के साथ नहीं रहना है जो वादे न पूरे कर सके. इसलिए वे पार्टी छोड़कर आ गए.'
मालूम हो, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीतकर सरकार बनाई थी. साल 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी औऱ कमलनाथ मुख्यमंत्री थे. इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक 19 विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसमें तत्कालीन कमलनाथ सरकार के 6 मंत्री भी शामिल थे. सिंधिया के इस्तीफे की दो वजहें बताई जा रही थीं. पहले तो ये कि वे प्रदेश की राजनीति में अपनी अनदेखी से नाराज थे. ये नाराजगी कांग्रेस की सरकार बनने से पहले से चली आ रही थी, जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए नहीं चुना गया. वहीं, दूसरी ये कि सिंधिया का मानना था कि राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस उन्हें अनदेखा कर रही है.