Shivraj Singh Chouhan on Congress: राजनीतिक पार्टियों के बीच किसानों को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. इस बीच राज्यसभा में किसानों की चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. साथ ही उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि कांग्रेस को किसानों का कोई दर्द नहीं. इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि पीएम मोदी से पहले कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने लाल किले के अपने भाषणों में कभी किसानों का जिक्र नहीं किया.
शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कहा, "जब मैं कृषि मंत्री बना तो मुझे लगा कि मुझे सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़ने चाहिए. जब मैंने उन भाषणों को पढ़ा तो मैं हैरान और स्तब्ध रह गया क्योंकि किसान कभी भी कांग्रेस की प्राथमिकता नहीं थे. जब हमारे नेता नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तो मैंने उनके भाषण पढ़े, आप पाएंगे कि उन्होंने अपने भाषणों में किसानों के बारे में बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में किसानों का कल्याण है और इसीलिए वह किसानों की बात करते हैं."
शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, "एक नेता जो बड़ी-बड़ी यात्राएं निकालते हैं. उस यात्रा के दौरान वो हरियाणा के सोनीपत गए थे. उन्होंने रील बनाई ताकि वो असली लगे. वहां किसानों से ज्यादा कैमरामैन थे. वो कैमरा लेकर खेत में जाते हैं और ड्रामा करते हैं. जब उन्हें हल दिखाया जाता है तो वो पूछता है कि ये क्या है? जब एक पूर्व प्रधानमंत्री को पता चला कि लाल मिर्च का दाम हरी मिर्च से ज्यादा है तो उसने किसानों से पूछा कि तुम लाल मिर्च क्यों नहीं उगाते."
शिवराज सिंह ने कहा, "पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सन 1947 में एक बार भी किसान का नाम नहीं लिया, 1948 में एक बार, 1949, 1950, 1951, 1952, 1953, 1954, 1955, 1956 से लेकर 1961 तक भाषण में एक बार भी किसान का नहीं लिया. "
उन्होंने आगे कहा, "इंदिरा गांधी ने 1966 में दो बार, 1967 में एक बार, 1968 में तीन बार, 1969 में तीन बार 1970 और 1972 में लिया नहीं और 1973 में दो बार नाम लिया. उसके बाद भी एक दो बार केजुएल नाम लिए. इसके अलावा राजीव गांधी की प्राथमिकता भी कभी किसान नहीं रहे."
शिवराज सिंह ने कहा, "जब हमारे नेता नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने 2014 में छह बार, 15 में 23 बार, 2016 में 31 बार, 2017 में 30 बार, 2018 में 17 बार, 2019 में 17 बार, 2020 में 17 बार, 2021 में 15 बार किसानों का नाम लिया. जो बात दिल में होती है वही मुंह पर आती है. इनके दिल में किसान नहीं था."
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