Sidhi Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश की सीधी लोकसभा सीट का सियासी किस्सा बहुत दिलचस्प है. इस बार कांग्रेस ने यहां से कमलेश्वर पटेल को मैदान में उतारा है. इसके उलट बीजेपी ने सिटिंग सांसद रीती पाठक की जगह नए चेहरे डॉक्टर राजेश मिश्रा को मौका दिया है. सीधी अपनी प्राकृति सौंदर्यता, गौरमयी इतिहास और सांस्कृतिक केंद्र के रुप में जाना जाता है.
हालिया दिनों सीधी में शांत वातावरण के बीच सियासी उठापटक अपने चरम पर है. लोकसभा चुनाव से पहले हार जीत को लेकर अटकलों और दावों को बाजार गर्म है. सीधी लोकसभा सीट में तीन जिले शामिल हैं, जिनमें सीधी और सिंगरौली के अलावा शहडोल जिले कुछ हिस्सा भी शामिल है.सीधी लोकसभा सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा, जबकि नतीजे 4 जून को घोषित होंगे.
सीधी लोकसभा सीट का इतिहास
प्रदेश के सीधी जिले में बहुत सारे प्राकृतिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं, जो इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण बनाते हैं. सीधी से सोन नदी होकर गुजरती है, कहा जाता है कि सीधी प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है. सीधी मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर संजय नेशनल पार्क है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण जगह है. यहां पर कई प्राचीन मंदिर हैं.
उन्हीं में से एक है घाघरा देवी का मंदिर, जहां हर साल मेला लगता है. इस मेले देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. बताया जाता है कि इसी जिले में मुगल बादशाह अकबर के सबसे बुद्धिमान नवरत्नों में से बीरबल का जन्म हुआ था. इसके अलावा 7वीं शताब्दी के प्रसिद्ध विद्वान वाणभट्ट का जन्म जिले के भवरसेन में हुआ था.
मध्य प्रदेश के गठन के बाद 1 नवंबर 1956 को परिसीमन के बाद सीधी जिला बना. सीधी में खुदाई के दौरान उच्च पुरापाषाण काल ( 40 हजार साल ) पुराने कई औजार मिले हैं. इसके अलावा जिले के रामपुर में 972 ई. में निर्मित प्राचीन शैव मंदिर और मठ स्थित हैं. यही नहीं, देश भर में यहां से बड़ी मात्रा में कोयले की सप्लाई भी की जाती है.
सीधी लोकसभा सीट में सियासी समीकरण
10 हजार 536 स्क्वायर किमी में फैले सीधी में कुल चार विधानसभा क्षेत्र हैं- चुरहट, सीधी, सिहावल और धौहनी विधासभा. बीते साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में चुरहट से कांग्रेस, सीधी, धौहनी और सिहावल से बीजेपी ने जीत हासिल की थी. इसी तरह बीजेपी ने सिंगरौली और शहडोल जिले की तीन-तीन विधासभा सीटों पर जीत हासिल की है.
विधासनभा चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी के बंपर जीत हासिल की हो, पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर बताई जा रही है. इसकी मुख्य वजह ये है कि रीती पाठक सीधी से बीते साल विधायक चुनी गई है. उनकी जगह बीजेपी ने नए प्रत्याशी का ऐलान किया है. इस बार बीजेपी प्रत्याशी राजेश मिश्रा को जीत के दर्ज करने के लिए काफी चुनौतियां हैं.
सीधी पेशाब कांड में बीजेपी प्रत्याशी राजेश मिश्रा के बेटे की भूमिक चर्चा की वजह से वह विवादों में रहे हैं. जिसे लेकर सीधी के पूर्व विधायक और कई स्थानीय नेता नाराज चल रहे हैं. जबकि इस सीट से सांसद रहीं रीती पाठक भी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज चल रही हैं और वह राजेश मिश्रा के प्रचार अभियानों में पूरे दमखम के साथ नहीं शामिल हो रही हैं. इन सबको देखते हुए कमलेश्वर पटेल और कांग्रेस पार्टी इसे एक अवसर के रुप में देख रही है और बीजेपी के सीधी किले में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दिया है.
सीधी लोकसभा सीट के जातीय समीकरण
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, सीधी की कुल आबादी 18 लाख 31 हजार 152 व्यक्ति है, जो मध्य प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 3 फीसदी है. जिसमें से लगभग 30 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति और लगभग 12 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है. सीधी पेशाब कांड के बाद के बाद इस मुद्दे को कांग्रेस हर लिहाज से भुनाने में लगी है. इसकी वजह भी है.
दरअसल, सीधी में 18 लाख 32 हजार 256 मतदाताओं में से अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 32 फीसदी है. अनुसूचित जाति मतदाताओं की संख्या 11.7 फीसदी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 2.4 फीसदी है. बाकी बचे उम्मीदवार ओबीसी और सामान्य श्रेणी से ताल्लुक रखते हैं. सीधी में अनुसूचित जनजाति मतदाता किसी भी प्रत्याशी की किस्मत बदल सकते हैं. कांग्रेस ने ओबीसी समाज से कमलेश्वर पटेल को टिकट देकर कोर वोटर्स के साथ ओबीसी और पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की है.
सीधी लोकसभा सीट पर कब कौन जीता?
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में सीधी सीट से बीजेपी को बंपर जीत मिली थी. बीजेपी की मौजूदा सांसद और वर्तमान में विधायक रीती पाठक ने कांग्रेस के अजय अर्जुन सिंह को करारी शिकस्त देते हुए कुल 6 लाख 98 हजार 342 वोट हासिल किए थे,जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अर्जुन सिंह को 4 लाख 11 हजार 818 वोट हासिल हुए थे. हालांकि विधानसभा चुनाव में सीधी से विधायक निर्वाचित होने के बाद बीजेपी ने रीती पाठक की की जगह राजेश मिश्रा को पर दांव खेला है.
यह लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई थी. साल 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में यहां से किसान मजदूर प्रजा पार्टी से रणदमन सिंह और सोशलिस्ट पार्टी से भगवान दत्त शास्त्री ने जीत हासिल की थी. इसके बाद कांग्रेस से साल 1962 में आनंद चंद्र जोशी और भानु प्रकाश सिंह जीत हासिल की थी.
साल 1971 के चुनाव में सीधी से स्वतंत्र प्रत्याशी रणबहादुर सिंह ने जीत कर कांग्रेस को झटका दिया, जबकि 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सूर्य नारायण सिंह ने जीत हासिल की थी. 1980 में मोतीलाल सिंह ने इंडियन नेशनल कांग्रेस (आई) इंदिरा गांधी की स्थापित नई पार्टी से जीत हासिली की. 1984 में मोतीलाल सिंह ने दोबार जीत दर्ज की, लेकिन इस बार कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज किया था. सीधी में बीजेपी ने पहली बार 1989 में दिग्गज नेता जग्गनाथ सिंह की अगुवाई में पहली बार जीत हासिल की थी.
साल 1996 से आल इंडिया कांग्रेस (टी) से तिलकराज सिंह और 1999 में जग्गनाथ सिंह ने बीजेपी से दोबारा जीत का परचम लहराया. इसके बाद सीधी संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर 1999 और 2004 में लगातार चंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज कर दिल्ली पहुंचे. रिश्वतखोरी के मामले में चंद्र प्रताप सिंह के निलंबन के बाद उपचुनाव कराया गया. साल 2007 में सीधी में हुए उपचुनाव में, माणिक सिंह ने जीत दर्ज कर कांग्रेस की वापसी कराई.
साल 2009 से 2019 तक सीधी में लगातार बीजेपी जीत हासिल कर रही है.वर्तमान में मध्य प्रदेश के अन्य जिलों की तरह सीधी को बीजेपी के स्ट्रांग होल्ड वाली सीटों में से एक माना जाता है. 2009 में गोविंद प्रसाद मिश्रा और 2014 और 2019 में बीजेपी से रीती पाठक ने जीत हासिल किया. बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कई सांसदों को चुनावी रण में उतारा था, उनमें से रीती पाठक भी एक थी. रीती पाठक ने बीते साल 2023 में सीधी विधानसभा सीट से भोपाल पहुंची हैं.
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