Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश का सीधी (Sidhi) जिला एक बार फिर से पूरे देश भर में गूंज उठा है. करीब आठ महीने पहले बीजेपी नेता द्वारा एक आदिवासी युवक के सिर पर पेशाब करने का मामला जबरदस्त तरीके से सुर्खियों में बना हुआ था. वहीं अब स्कॉलरशिप के नाम पर सात से अधिक आदिवासी छात्राओं के साथ रेप का मामला सामने आया है.
सीधी जिले के मझौली थाना क्षेत्र में आदिवासी युवतियों से रेप के मामले में कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है. पूर्व सीएम कमलनाथ और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ट्वीट कर सरकार पर सवाल दागे हैं. इधर इस मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जांच के निर्देश दिए हैं.
सीएम ने कहा कि अनुसूचित जनजाति की छात्राओं के साथ हुई घटना की जांच एसआईटी करेगी. जांच की कमान महिला डीएसपी को सौंपी गई है. 9 सदस्यीय एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी. 7-7 दिन में रिपोर्ट देनी होगी. सीएम ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई होगी. बता दें सीधी जिले के मझौली थाना क्षेत्र में आवाज बदलने वाले मैजिक वॉइस एप के जरिए तीन आरोपियों ने सात से अधिक कॉलेज छात्राओं को झांसा देकर उनके साथ रेप किया है.
जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा
आरोपी एप के जरिए छात्राओं से महिला टीचर बनकर बात किया करता था और उन्हें स्कॉलरशिप के लिए दस्तावेज मंगवाने के नाम पर सुनसान जगह बुलाता था. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट कर लिखा कि 'सीधी में आवाज बदलने वाले मैजिक वॉइस एप के जरिए सात से अधिक आदिवासी कॉलेज छात्राओं के साथ रेप की घटना ने एक बार फिर बीजेपी शासन में महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
वैसे ही मध्य प्रदेश आदिवासी और महिलाओं पर अत्याचार में पहले नंबर पर है और ये वही सीधी जिला है, जहां एक आदिवासी युवक के सिर पर बीजेपी नेता ने पेशाब की थी.'
- क्या सीधी की आदिवासी छात्राएं आपकी सरकार से यह उम्मीद रख सकती हैं कि इस घटना की निष्पक्ष और त्वरित जांच होगी और उन्हें प्राथमिकता से न्याय मिलेगा.
- सवाल यह भी है कि मध्य प्रदेश में ही आदिवासी सबसे ज्यादा उत्पीड़न के शिकार क्यों हैं. क्यों आपकी सरकार आदिवासियों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने में बार-बार असफल हो रही है.
- हाल ही में मैंने महिला अत्याचार को लेकर आपको एक विस्तृत पत्र लिखा था और कहा था कि आपने मध्य प्रदेश को देश का क्राइम कैपिटल बना दिया है. प्रदेश को इस कलंक से मुक्ति कब मिलेगी.
- हालत यह है कि महिला आयोग में न अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य और तो और महिलाओं को न्याय देने से जुड़े हुए 24000 मामले भी पेंडिंग हैं. यह अकर्मण्यता का सबसे बड़ा प्रमाण और परिणाम है.
- आगर मालवा की रेप पीड़िता या इंदौर की साइबर क्राइम पीड़ित युवती अभी न्याय की तलाश कर ही रही थी कि सीधी ने महिला सुरक्षा से जुड़े नए सवाल उठा दिए.
- आपसे अनुरोध है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री पद को मजाक बनाना बंद कीजिए. गंभीरता से यह विचार भी कीजिए कि महिला सुरक्षा के लिए ऐसी कौन सी नीतियां बनाई जाएं, जिससे उत्पीड़न के मामले कम हो सकें.
कमलनाथ ने भी उठाए सवाल
इधर पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी ट्वीट कर सरकार को घेरा है. उन्होंने लिखा कि 'सीधी जिले में स्कॉलरशिप का झांसा देकर सात आदिवासी छात्राओं से रेप का समाचार अत्यंत व्यथित करने वाला है. पुलिस का कहना है कि और भी लड़कियां इसका शिकार हो सकती है. यानी रेप पीड़ित आदिवासी लड़कियों की संख्या सात से अधिक भी हो सकती है.
देश अब तक भुला नहीं है कि इसी सीधी जिले में एक आदिवासी युवक के सिर पर बीजेपी के नेता ने पेशाब की थी. क्या मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय की लड़कियां निर्भय होकर कॉलेज में पढ़ाई भी नहीं कर सकती? ऐसे हालात में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे का क्या अर्थ रह जाता है?'
'मध्य प्रदेश पहले ही आदिवासी अत्याचार और महिलाओं पर अत्याचार में नंबर वन है. कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार का समाचार सामने न आता हो. मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि सभी पीड़ित छात्राओं को समुचित आर्थिक सहायता दी जाए. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए.
बेटियों से अत्याचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा जाए. मुख्यमंत्री प्रदेश में आदिवासी बच्चियों की सुरक्षा के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन करें, ताकि आदिवासी समाज की बच्चियां समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके और अपने भविष्य का निर्माण कर सकें.'