Jabalpur News: मध्यप्रदेश लोक सेवा (MPPSC-2019) की परीक्षा-2019 कोर्ट कचहरी के चक्कर में उलझ कर रह गई है. थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (High Court) में एक नई याचिका दाखिल हो जाती है. अब आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों की विशेष मुख्य परीक्षा आयोजित कराने के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी गई है. मंगलवार को प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया है. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, पीएससी सचिव और आरक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों से जवाब मांगा गया है. मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को तय की गई है.


कोर्ट कचहरी के चक्कर में उलझी MPPSC -2019 की परीक्षा






बता दें कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 29 नवंबर को पीएससी 2019 की परीक्षा में आरक्षित वर्ग के कुछ उम्मीदवारों की विशेष मुख्य परीक्षा आयोजित कराने का निर्देश दिया था, जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे. सिंगल बेंच ने आदेश में कहा था कि भर्ती नियम 2015 को आधार बनाकर मुख्य और विशेष मुख्य परीक्षा के परिणाम के आधार पर अभ्यर्थियों के इंटरव्यू की नई सूची तैयार की जाए. कोर्ट ने पीएससी को कहा था कि इसके लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाए जो पूर्व की परीक्षाओं में अपनाई गई है.

अब जबलपुर निवासी दीपेन्द्र यादव, शैलबाला भार्गव और अन्य ने एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ युगलपीठ के सामने अपील प्रस्तुत की है. उनकी ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 तथा 16 के प्रावधानों के विपरीत है. उन्होंने कहा कि एकलपीठ का आदेश परीक्षार्थियों में परस्पर भेदभाव पैदा करने वाला है. तर्क दिया गया कि जिन नियमों को डिवीजन बेंच ने असंवैधानिक घोषित किया था, उनके तहत जारी रिजल्ट को सिंगल बेंच ने वैधानिक मानकर केवल विशेष परीक्षा कराने का आदेश दिया,जो कि अनुचित है.