Ban on Single Use Plastic: सिंगल यूज पॉलिथीन पर प्रतिबंध को लेकर सरकार लंबे समय से एक के बाद एक आदेश जारी कर रही है, मगर इसका धरातल पर पालन नहीं हो पा रहा. बाजार में आज भी सिंगल यूज पॉलिथीन धड़ल्ले से उपयोग में लाई जा रही है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किराना व्यवसाय में हो रहा है. इसके खिलाफ एक्शन लेने के नाम पर सरकारी एजेंसियां केवल औपचारिक खानापूर्ति कर रही हैं. 


साल 2022 तक पूरी तरह बैन होनी थी पॉलिथीन
मध्य प्रदेश में सिंगल यूज पॉलिथीन का धड़ल्ले से उपयोग होने की वजह से इसका प्रतिकूल परिणाम भी देखने को मिल रहा है. सिंगल यूज पॉलिथीन पशुओं के लिए नुकसानदायक है. साल 2019 में सरकार ने पॉलिथीन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. यह भी दावा किया गया था कि साल 2022 तक सिंगल यूज पॉलिथीन का उपयोग पूरी तरह बंद हो जाएगा. 


हालांकि, सरकार के दावे पर अभी तक पूरी तरह अमल नहीं हो पाया है. आज भी बाजार में सब्जियां, किराना सामान, दूध सहित रोजमर्रा की छोटी-बड़ी वस्तुएं सिंगल यूज पॉलिथीन बैग में आ रही है. कपड़े और कागज के बैग का चलन अभी अधिक मात्रा में नहीं हो पा रहा है. 


25 हजार रुपये तक का जुर्माना
गौरतलब है कि 75 माइक्रोन से कम वाली पॉलिथीन को सिंगल यूज़ प्लास्टिक की श्रेणी में रखा गया है. अगर नियमों का उल्लंघन करते हुए कोई इसका उपयोग करता है, तो दुकानदार पर एक हजार से लेकर 25 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान है. यह जुर्माना शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्र में नगर परिषद द्वारा किया जा सकता है. इसके अलावा, सक्षम अधिकारी भी कार्रवाई कर सकता है, मगर अभी कार्रवाई का अभाव होने की वजह से पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. 


व्यापारी भी असमंजस में
धार्मिक नगरी उज्जैन में अंडा विक्रय करने वाले व्यापारी के मुताबिक, पॉलिथीन पर प्रतिबंध है लेकिन इसका कोई विकल्प नहीं है. अंडे को अधिकांश लोग काली थैली में ले जाते हैं. किराना व्यापारी मनोज अग्रवाल के मुताबिक, पॉलिथीन की थैली का उपयोग बंद करने के बावजूद लोग थैलियां मांगते हैं. दूसरी दुकानों पर भी थैलियां दी जा रही हैं. प्रतिस्पर्धा के इस दौर में मजबूरन पॉलिथीन का उपयोग करना पड़ रहा है. इस पर प्रतिबंध बेहद जरूरी है.


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