MP News: कोयला के लिए खतरे में सिंगरौली के जंगलों का अस्तित्व, कंपनियों ने खुदाई के लिए डाला डेरा
Singrauli News: देश के विकास के लिए ऊर्जाधानी सिंगरौली के रहवासियों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. वहां के जंगलों का अस्तित्व खतरे में है क्योंकि जंगल काटकर अब कोयले का खनन किया जा रहा है.
Singrauli Coal Excavation: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में कोयले की खुदाई की जानी है. इसके लिए यह इलाका एक निजी कंपनी को सौंपा गया है. दावा है कि सरई क्षेत्र के कई गांवों में अब निजी कंपनियों का कब्जा हो चुका है. जंगल काटकर अब कोयला खनन करने की खबरें भी सामने आ रही हैं.
इलाके के तापमान में हुई बढ़ोतरी
जिले में कोयला खनन के लिए नीजी कंपनियों को ब्लॉक आवंटित किया गया है. साथ ही अब निजी कंपनियां भी खनन के लिए आ रही हैं. बताया जा रहा है कि जल्द से जल्द कोयला खनन की तैयारी में लगी कंपनियों द्वारा वन विभाग और राजस्व सहित निजी भूमि पर मौजूद लाखों की संख्या में पेड़ों को धराशायी किया जाएगा. पर्यावरण संतुलन खतरे में पड़ गया है. पेड़ों की कटाई की वजह से सालों बाद पिछले महीने 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा तापमान पर्यावरण असंतुलन का नतीजा माना जा रहा है.
दूसरे जिलों में जमीन दे रही कंपनियां
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नियमानुसार खनन के लिए कोल ब्लॉक आवंटित होने के बाद जंगली क्षेत्र से दो गुना रकबा कंपनियों को वन विभाग को देना पड़ता है. साथ ही पौधरोपण के लिए खर्च भी अदा करना पड़ता है. वन विभाग पौधरोपण कराता है. यही प्रक्रिया राजस्व की जमीन में जंगल होने पर पूरी की जाती है. नियम-शर्तों का फायदा उठाते हुए नीजी कंपनियां जंगल भले सिंगरौली का उजाड़ रही हैं, लेकिन पौधरोपण के लिए जमीन दूसरे जिलों में दी जा रही है. नतीजा सिंगरौली को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
पौधारोपण के लिए खर्च देने की कंपनियों की जिम्मेदारी
वन विभाग के डीएफओ मधु वी राज ने बताया कि कोयला खनन के लिए आने वाले कंपनियों को वन भूमि पर खनन की अनुमति इसी शर्त पर दी जाती है कि वह बदले में जमीन व पौधरोपण के लिए खर्च देंगी. एक कंपनी से अभी हाल में रकम मिली है. जमीन संजय टाइगर रिजर्व और बगदरा सहित कई इलाकों में चिह्नित है. पौधरोपण की प्रक्रिया शुरू है, बाकी की कंपनियों की प्रक्रिया प्रचलन में हैं.
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