Signrauli: बेटा समझकर नवजात को घर ले गए माता-पिता, खुशियां मनाईं, एक दिन बाद पता चला बेटी है! अस्पताल में हंगामा
MP News: बेटे की जगह बेटी को देखकर परिजन भड़क उठे और उन्होंने अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया. यही नहीं, उन्होंने अस्पताल के स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया.
Singrauli News: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिला चिकित्सालय में अजब-गजब मामला सामने आया है. यहां पहले तो अस्पताल के स्टाफ ने परिजनों को बताया कि उनको बेटा हुआ है. इस खुशी में घरवालों ने मिठाइयां बांट दीं, लेकिन इसके बाद स्टाफ ने उनकी गोद में बेटी थमा दी. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और आरोप लगाया कि उनके बच्चे को बदला गया है. यही नहीं, परिजनों ने बच्चे की डीएनए जांच की मांग की है.
दरअसल, सरई थाना के गोरा गांव से 25 जुलाई को सुनीता कोल को प्रसव पीड़ा के दौरान परिजनों ने डिलिवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. यहां महिला ने सुरक्षित नवजात को जन्म दिया. डॉक्टर के मुताबित, नवजात की हालत नाजुक होने पर उसे एएसएनसीयू में रखा गया, जहां पर रोज प्रसूता महिला दुग्धपान कराने जाती थी. नवजात की हालत में सुधार होने के बाद 6 जुलाई को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. दूसरे दिन सोमवार को बच्चे को लेकर प्रसूता महिला परिजनों के साथ जिला अस्पताल पहुंची, जहां महिला और परिजनों ने स्टाफ, नर्स और डॉक्टरों पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया
बच्ची को घर ले जाने से किया इनकार
बताया जा रहा है की बेटे की जगह बेटी को देखकर परिजन भड़क उठे और उन्होंने अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया. यही नहीं, उन्होंने अस्पताल के स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया. परिजनों का कहना है कि उनसे लड़का पैदा होने की बात कही गई थी. स्टाफ ने पैसे भी लिए, मिठाई खाई, लेकिन बाद में लड़के को बदलकर लड़की दे दी. जबकि जो पेपर बना था वो लड़के का बना था. अब पेपर को भी बदलकर उस पर लड़की लिखा गया है. परिजनों ने अब लड़की को अपने साथ ले जाने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि जब तक बच्ची का डीएनए टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक वो उसे घर नहीं लेकर जाएंगे.
मामले में जिला अस्पताल के डॉक्टर ने पेश की सफाई
वहीं, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर ओपी झा ने कहा कि महिला का आरोप निराधार है. महिला को फीमेल चाइल्ड ही पैदा हुआ था. 10 दिन तक महिला ने बच्चे को अपने दूध का सेवन कराया है. अगर कोई मां अपने बच्चे को जब लेती है तो तुरंत पहचान लेती है. 6 जुलाई को उसको डिस्चार्ज किया गया और जब उसके बच्चे को दिया गया. अगर बच्चा न होता तो उसी समय कहती कि ये मेरा बच्चा नहीं है. लेकिन उस समय वह अपना बच्चा ले गई. दूसरे दिन सोमवार को रात में अस्पताल में आती है और कहती है कि यह मेरा बच्चा नहीं है. इसे बदला गया है. यह आरोप निराधार है.
सिंगरौली से देवेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
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