Singrauli News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली (Singrauli) जिले में हितग्राहियों को तीन महीने से राशन नहीं देने का मामला सामने आया है, जिसकी वजह से सैकड़ों ग्रामीणों के पास राशन की समस्या उत्पन्न हो गई. इसके बाद ग्रामीण डीएम की जनसुनवाई में पहुंच गए. डीएम ने भी इस मामले को सुनकर तत्काल संबंधित अधिकारी को जांच करने के लिए निर्देश दिया.
जांच करने गए फूड इंस्पेक्टर यानी खाद्य विभाग के अधिकारी ने तीन की जगह एक महीने का राशन दिलाने की वकालत की. इस पर ग्रामीण आग बबूला हो गए. यह मामला बैढ़न ब्लॉक के अंतर्गत पिपरा गांव का है. दरअसल, ग्राम पंचायत पिपरा में सैकड़ों राशनकार्डधारियों को तीन महीने से राशन का वितरण नहीं किया जा रहा है. इसकी शिकायत ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर पर कई बार की.
एक महीने का राशन दिलाने की बात पर भड़के ग्रामीण
इसके बावजूद अधिकारी टालमटोल करते रहे. वहीं आक्रोशित ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय बैढ़न की ओर रुख किया और जिलाधिकारी अरुण परमार की जनसुनवाई के दौरान में अपनी समस्या बताई. इसके बाद कलेक्टर ने जांच के लिए खाद्य विभाग के फूड इंस्पेक्टर को जिम्मेदारी सौपीं. फूड इंस्पेक्टर इस मामले में जांच करने अपनी टीम के साथ 13 मई को पिपरा गांव मे पहुंचे. यहां वो तीन की जगह एक महीने का राशन दिलाने की बात करने लगे. इसी बात को लेकर ग्रामीण भड़क गए. इस घटना का वीडियो बनाकर एक युवक ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया और फूड इंस्पेक्टर के खिलाफ टिप्पणी कर दी.
फूड इंस्पेक्टर ने युवक को दी धमकी
इसके बाद फूड इंस्पेक्टर ने सोशल मीडिया में वीडियो पोस्ट करने वाले युवक को फोन पर गोली से मारने की धमकी दी. यही नहीं फूड इंस्पेक्टर ने युवक को भद्दी गालियां भी दी. अब फूड इंस्पेक्टर का युवक को गाली देने वाला ऑडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. साथ ही इस मामले में युवक अतुल दुबे की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने फूड इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन कलेक्टर ने अभी तक फूड इंस्पेक्टर निलंबित नहीं किया है. इस वजह से ग्रामीणों में खासा आक्रोश भी देखने को मिल रहा है.
ग्रामीणों ने की निलंबन की मांग को
वहीं अभी तक ग्रामीणों को राशन नहीं मिल पाया है. जिला प्रशासन ने फूड इंस्पेक्टर को इस मामले में निलंबित किया है, जिसके चलते ग्रामीणों में खासा आक्रोश भी देखने को मिल रहा है. ग्रामीण एकजुट होकर फूड इंस्पेक्टर को जिले के हटाने और उसके निलंबन की मांग कर रहे हैं. ग्रामीण खाद्य मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक इसकी शिकायत कर रहें है, लेकिन उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है.
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