Singrauli News Today: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में डैम घोटाला इन दिनों सुर्खियों में है. यहां 243.95 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद अब तक डैम का निर्माण नहीं हुआ है. हैरानी की बात ये है कि डैम निर्माण की रकम कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 2018 से 2020 के बीच जारी किया था.


उस समय पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने डैम और पानी की नहर बनाने के लिए कंपनियों को एडवांस में ये रकम जारी किया थी. यह पूरा मामला जिले के अंतर्गत आने वाले गोंड वृहद सिंचाई परियोजना से जुड़ा है. इस घोटाले का पर्दाफाश होते ही प्रदेश में सियासी पारा हाई हो गया है.


बताया जा रहा है कि साल 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने हैदराबाद की एक कंपनी को डैम बनाने का ठेका दिया था. इसमें खास बात ये रही कि डैम निर्माण के लिए 243.95 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार ने एडवांस में ही कर दिया. डैम बनाने की आखिरी तारीख 28 मार्च 2024 तय की गई थी. 


विधानसभा में भी गूंजी आवाज
दूसरी तरफ 5 साल बीत जाने के बावजूद अब तक डैम का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. यही नहीं डैम के निर्माण के लिए एक पाइप तक नहीं बिछाई गई. स्थानीय बीजेपी विधायक राजेंद्र मेश्राम ने इस मामले को विधानसभा में उठाया. उन्होंने परियोजना की प्रगति के बारे में सवाल उठाए. हालांकि उन्हें भी अब तक इस पर कोई जवाब नहीं मिला है.


अब विधायक राजेंद्र मेश्राम ने दावा किया है कि मौजूदा मोहन यादव सरकार ने डैम के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इस संबंध में पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी मांगी जा रही है. विधायक के अनुसार, साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने एक कंपनी को एडवांस में निर्माण का पैसा जारी किया था, लेकिन कंपनी ने कुछ काम नहीं किया. 


इसके कुछ महीनों बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट हो गया और प्रदेश में शिवराज सिंह की अगुवाई में दोबारा सरकार बनी. कांग्रेस सरकार के जाने के बाद डैम के निर्माण का काम शुरू नहीं हो सका.


ग्रामीणों ने बयान की डैम की हकीकत
एबीपी न्यूज ने ग्राउंड जीरो पर जाकर मामले की पड़ताल की. सिंगरौली जिले के जालपानी गांव में जाकर देखा तो वहां धरातल पर डैम से संबंधित किसी भी निर्माण कार्य के निशान नहीं मिले. 


इस बार में जालपानी गांव के तीरथ पनिका ने बताया कि यहां गोंड सिंचाई परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है. उन्होंने बताया कि इसका मुआवजा भी मिल गया है, लेकिन आज तक डैम नहीं बन पाया है. डैम बन जाता तो हम लोगों को सिंचाई के लिए पानी मिल जाता.


गांव के सुनील ने बताया कि गांव में जमीन अधिग्रहण के समय यह आश्वासन दिया गया था कि बांध बन जाने से सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था हो जाएगी. उन्होंने बताया कि जमीन का अधिग्रहण करीब 6 साल पहले हुआ था, लेकिन आज तक उस अधिगृहित जमीन पर बांध का निर्माण नहीं हो पाया है.


33 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण
देवसर सरई क्षेत्र के 132 और धौहनी विधानसभा के कई गावों को मिलाकर 33 हजार हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए गोपद नदी के जालपानी गांव पर गोंड बांध वृहद सिंचाई परियोजना के निर्माण का प्लान था. 


प्रशासकीय स्वीकृति मिलने पर 29 मार्च 2019 को पटेल इंजीनियरिंग और मंटेना कंट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के भागीदारी वाले संयुक्त उपक्रम से अनुबंध किया गया. विभागीय सूत्रों की मानें तो मंटेना कंट्रक्शन जिसे शुरुआत में एक दो बिल का भुगतान किया गया था, उसका सामान भी आ गया था. 


इसके बाद जो 10 से 11 बिल जारी किए गए उसकी सामग्री आई ही नहीं आई. ऐसे गोपद नदी पर गोंड वृहद सिंचाई बांध परियोजना का बांध तो नहीं बन पाया, लेकिन सरकारी राशि का करीब 243.95 करोड़ रुपये इस अदृश्य बांध की अदृश्य धारा में बह गए. अब मामला सामने आने के बाद सियासी आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है.


कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने की जांच की मांग
सिंगरौली कांग्रेस जिला अध्यक्ष अरविंद सिंह चंदेल ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने गोपद नदी पर गोंड बांध नहर परियोजना का शुभारंभ किया था. उन्होंने बताया कि इसके लिए फंड जारी हो गया था और काम भी शुरू हो गया थे. 


अरविंद चंदेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार गिरते ही और बीजेपी सरकार आते ही न तो बांध बना और न ही पाइप लाइन डाली गई. उन्होंने दावा किया किया कि भुगतान बीजेपी की सरकार में हुआ और बीजेपी सरकार में जो भ्रष्टाचार हुआ, मैं उसके जांच की मांग करता हूं. 


सांसद ने दिया जांच का आश्वासन
सीधी सिंगरौली संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की जांच होगी. उन्होंने इस मामले में बड़ी कार्रवाई की जाएगी. धरातल पर भी डैम बनेगा और किसानों के लिए सिंचाई का भी फायदा होगा.


(सिंगरौली से देवेंद्र पांडेय की रिपोर्ट)


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