Singrauli: महान जंगल के रौहाल गांव में पत्थरों का अवैध खनन, हैवी ब्लास्टिंग से उड़ी आदिवासियों की नींद
महान जंगल के रौहाल गांव में पत्थर माफिया ने नियम कानून को ताक पर रखकर न केवल अवैध तरीके से पत्थर का खनन किया है बल्कि पर्यावरण को भी खासा नुकसान पहुंचाया है. खदान संचालक के पास खनन का लीज ही नहीं है.
MP News: ऊर्जाधानी के नाम से मशहूर सिंगरौली में महान जंगल प्रदेश ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े और पुराने जंगलों की लिस्ट में शुमार है. महान नदी के किनारे बसे जंगल पर 62 गांव की आबादी निर्भर है. लेकिन पत्थरों के अवैध खनन की वजह से पहाड़ का वजूद अब खतरें में पड़ गया है. अब तक दो दर्जन पहाड़ का नामोनिशान तक मिट गया है. महान जंगल के रौहाल गांव में दबंग पत्थर माफिया ने नियम कानून को ताक पर रखकर न केवल अवैध तरीके से पत्थर का खनन किया है बल्कि पर्यावरण को भी खासा नुकसान पहुंचाया है. खदान संचालक के पास खनन का लीज ही नहीं है. अवैध खनन की निगहबानी के लिए जिम्मेदार खनन विभाग कुंभकरण की नींद सो रहा है.
अवैध खनन की शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं
मध्य प्रदेश की आदिवासी संस्कृति में पहाड़, नदियों और जंगल का खास महत्व है. निवासरत आदिवासियों से जल, जमीन और पहाड़ सीधे तौर पर जुड़ा है. मध्य प्रदेश सरकार पहाड़ के अस्तित्व को बचाने की कोई ठोस पहल नहीं कर पा रही है. रौहाल गांव में संचालित शिवा एसोसिएट स्टोन क्रेशर पर आरोप है कि खदान की लीज और पर्यावरण का क्लीयरेंस नहीं होने के बावजूद हैवी ब्लास्टिंग कर पत्थरों को निकाल रहा है. हैवी ब्लास्टिंग से आसपास निवासरत आदिवासियों के घरों में बड़े बड़े पत्थर गिरते हैं. पत्थरों के गिरने की वजह से हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है. आदिवासी ग्रामीण डर के साये में जीने को विवश हैं. पुलिस प्रशासन से शिकायत करने पर सुनवाई नहीं होती है.
हैवी ब्लास्टिंग से खतरे में आदिवासीयो की जिंदगी
खनन माफिया हैवी ब्लास्टिंग के जरिये अवैध तरीके से पहाड़ों को तोड़ रहें है. अवैध धंधे में माफियाओं का एक सुसंगठित तंत्र काम करता है. उके तार प्रदेश के अन्य राज्यों से भी जुड़े रहते हैं. ऐसे में बेतरतीब अवैध उत्खनन से पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है. माड़ा ब्लॉक के तहसीलदार शारदा प्रजापति ने कहा कि अवैध तरीके से खदान संचालित हो रहा है. रौहाल में कोई लीज ही स्वीकृति नहीं की गई है.
शिकायत मिलने पर मामले की जांच करायेंगे और संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी. पुलिस प्रशासन की मिलीभगत और खनन विभाग की निष्क्रियता ने स्थिति को और भी भयानक बना दिया है. कार्यवाही नहीं होने से पत्थर माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और बिना किसी वैध लीज के ही पहाड़ों को तोड़ रहे हैं. हैवी ब्लास्टिंग ने आदिवासियों की जिंदगी भी खतरे में डाल दिया है.