Singrauli News: कोयले की काली राख ने किया जीना मुहाल, बदत्तर जिंदगी जीने को मजबूर इलाके के लोग
MP News: स्थानीय लोगों ने कहा, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी तो प्रदूषण से मर रहे लोगों को देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं. यहां के हालात तो यह हैं कि सांस लेना मुश्किल होने लगा है.
Madhya Pradesh News: काले हीरे की खान और पावर कैपिटल के नाम से मशहूर उर्जाधानी सिंगरौली (Singrauli) में बच्चा-बच्चा कोयले की धूल फांकने के लिए मजबूर है. फेफड़े में बैठ रही कालिखों के कारण बहुसंख्य आबादी ठीक से सांस के लिए मशक्कत कर रही है. हालात तो यह हैं कि खुली जुबान कोई कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है लेकिन, इंसानों के चेहरे और उनका रहन-सहन यह बता रहा है कि कोयले की राख ने सिंगरौली वासियों की जिंदगी किस तरह से तबाह की है. सत्ता और धर्म का चोला ओढ़े जिम्मेदार तो दोषी हैं ही, प्रशासनिक अधिकारी भी गलबहियां करने में पीछे नहीं हैं.
धूल से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर
जैसे ही आप यूपी के सोनभद्र जिले से मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में प्रवेश करते है, यहां प्रवेश करते ही कोयले की काली राख, धूल से आपका स्वागत किया जाता है. यहां पैदल चलना तो और भी खतरनाक है. सिंगरौली जिले में अधिकांश इलाके के लोग कोयले की राख और धूल से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. सिंगरौली में सड़क के किनारे निवासरत कौसल्या ने एबीपी न्यूज़ के कैमरे के सामने अपने दर्द की दास्तां बयां करते हुये बताईं कि, यहां हम लोग कोयला खाते हैं, पीते हैं और कोयले में जीते हैं. जिंदगी भी कोयले की तरह काली हो गई है.
स्थानीय लोगों ने कहा कि, यहां सत्ता और धर्म की छत्रछाया में संगीन खेल खेला जाता है. इसमें इंसानों की सुरक्षा नहीं बल्कि जेब कितना भरना है उसपर विशेष ध्यान दिया जाता है. पुलिस और प्रशासन के अधिकारी तो प्रदूषण से मर रहे लोगों को देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं. यहां के हालात तो यह हैं कि सांस लेना मुश्किल होने लगा है.
सरकार ने पटाखे पर लगाया प्रतिबंध
दीवाली पर आतिशबाजी को लेकर केंद्र व राज्य सरकार इस बार सख्त रवैया अपनाए हुए हैं. ग्रीन पटाखों को छोडकर सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, बिक्री एवं उनके उपयोग पर 31 जनवरी 2023 तक प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए गए हैं. इसके पीछे सरकार का यह तर्क है कि पटाखों को जलाने से वायु प्रदूषण होता है. वायु प्रदूषण से गंभीर पर्यावरण व खतरे उत्पन्न होते हैं, इनका मनुष्य विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों व श्वास एवं हृदय से संबंधित बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस वजह से सरकार ने पटाखों की बिक्री व उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध से पटाखा कारोबारियों की दीवाली पर मायूसी का ग्रहण लग गया है.
कोल परिवहन पर कब लगेगी लगाम?
प्रदूषण से निजात दिलाने के किये केंद्र व राज्य सरकार सख्त हैं. प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन क्या सरकार के सख्त कानून के बाद लोगों को प्रदूषण से निजात मिल पाया है, ये बड़ा सवाल है. देश के सबसे प्रदूषित शहरों में सुमार मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला है. यहां प्रदूषण का दंश बच्चा बच्चा झेल रहा है. काले हीरे के नाम से मशहूर सिंगरौली जिले के लोग प्रदूषण की दंश से नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं. यहां सरकार के सारे नियम व कानून फेल साबित हो रहे हैं. दिन रात सड़कों पर कोल परिवहन कर रहे हाइवा वाहन फर्राटा भर रहें हैं और अपनी तेज रफ्तार से किसी न किसी घर का चिराग बुझा दे रहे हैं. यहीं वजह है कि इस जिले में कोल परिवहन की वजह से सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं.
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