Singrauli Coal Dust Problem: मध्य प्रदेश में काले हीरे की खान के नाम से मशहूर उर्जाधानी सिंगरौली में बढ़ते प्रदूषण से बच्चे, युवा और बुजुर्ग परेशान हैं. सड़कों से उड़ने वाली धूल और कोयले से पावर हाउस से उड़ने वाली राख ने फेफड़ों में कालिख घोल दी है. सिंगरौली में अगर एनजीटी के निर्देशों और सुझावों पर प्रभावी अमल हो जाए तो यहां की तस्वीर बदल सकती है. एनजीटी के पूर्व में आए आदेश से लेकर अब तक कई निर्देश जारी हो चुके हैं. एनजीटी ने भी कई बार यहां प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुये नाराजगी जता चुका है. जिलाधिकारी की जिम्मेदारी तय कर लगातार निगरानी के निर्देश दिए गए हैं, बावजूद इसके हालात खराब बने हुए हैं.


कोयले को खुले में किया जा रहा है डंप


सिंगरौली जिले के मोरवा, गोरबी, गोंदवाली, रेलवे साइडिंग व आसपास के इलाकों में कोयला का मनमानी तरीके से अवैध भंडारण एक बार फिर शुरू हो गया है. खामियाजा आसपास की बस्ती के रहवासियों को भुगतना पड़ रहा है. कोयला लोडिंग व डंपिंग के दौरान रहवासी कोयले की धूल फांकने को मजबूर हैं. सड़क के किनारे खुले में कोयले की डंपिग इस इलाके में जगह-जगह देखने को मिल जाएगी. कोयला कारोबारियों की मनमानी के पीछे प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की दरियादिली मानी जा रही है. कारोबारी कम समय में अधिक काम करने के फेर में ओवर लोडिंग कर साइडिंग में परिवहन की तुलना अधिक मात्रा में कोयला का भंडारण कर रहे है. रेलवे साइडिंग में स्थान सीमित होने के चलते आसपास के गांवों में भी कोयले का भंडारण किया जा रहा है, इससे गांव के रहवासी परेशान हैं.


कोयले का मनमानी भंडारण बरगवां में खासतौर पर देखने को मिल रहा है. गोरबी का हाल भी कुछ ऐसा ही है. शिकायत के बाद भी मनमानी पर लगाम नहीं लग पा रहा है और इलाके के लोग प्रदूषण का दंश झेलने को मजबूर हैं. वावजूद इसके जिला प्रशासन इन कारोबारियों पर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है, जिस वजह से खुले में कोयले को डंप किया जा रहा है. राहगीर व इलाके के लोग इसी प्रदूषण की वजह से कई बीमारियों की चपेट में है.


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एनजीटी तक पहुंची है शिकायत


रेलवे साइडिंग के आसपास के इलाकों में फिर से शुरू हुए अवैध कोयला भंडारण की शिकायत एनजीटी तक पहुंची है. कम्युनिष्ट पार्टी के नेता की ओर से लिखित रूप से शिकायत की गई है. शिकायत में कहा गया है कि कोयले के अवैध व मनमानी तरीके से भंडारित किए जाने के चलते साइडिंग के आसपास के इलाके व रहवासी कोयले के धूल की वजह से प्रदूषण झेल रहे हैं. जिला प्रशासन को इसकी कई बार शिकायत की गई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. इसके अलावा जिले में कोयला खनन, सड़क मार्ग से कोल परिवहन, असुरक्षित तरीके से औद्योगिक अवशेष्टों का बहाव, बिजली उत्पादन के लिए रोजाना लगभग 6 लाख टन से अधिक कोयले की खपत और उससे करीब दो लाख टन निकलने वाली राख प्रदूषण का कारण माना जाता है.


सड़कों पर नहीं हो रहा पानी का छिड़काव


गड्ढों में तब्दील सड़कों पर वाहनों की आवाजाही के चलते उड़ने वाली धूल और सड़क पर बढ़ते वाहन भी प्रदूषण का कारण बन रहे हैं. हालात यह है कि यहां जल और मृदा दोनों में प्रदूषण का जहर घुल चुका है. हवा में भी लगातार प्रदूषक (खतरनाक रासायनिक पदार्थ) तत्वों की मात्रा बढ़ रही है. इसको देखते हुए ज्यादा आवागमन वाली सड़कों पर पानी का छिड़काव, टूटी सड़कों की मरम्मत, प्रभावितों को बेहतर उपचार, प्रदूषक तत्वों के ज्यादा से ज्यादा नियंत्रण को लेकर राज्य सरकारों की ओर से निर्देश जारी हैं. यहां की भयावह हालात देख कई निर्देश जारी किए गए लेकिन मानकों का नियमित पालन तो दूर अब तक सड़क पर नियमित पानी के छिड़काव की व्यवस्था नहीं हो सकी है. एनजीटी के आदेश और शासन डीएम के निर्देशन में प्रदूषण नियंत्रण के लिए संबंधित अधिकारियों, परियोजना प्रमुखों को जरूरी कदम उठाने के लिए पत्र निर्देश जारी हैं. पूर्व में भी समय-समय पर निर्देश सुझाव जारी हुए हैं. अगर इस पर प्रभावी अमल हो जाए तो काफी हद तक हालात सामान्य हो जाएंगे.


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