Singrauli Golikand News: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में गुरुवार (3 अगस्त) मोरना थाना क्षेत्र में बीजेपी विधायक रामलल्लू वैश्य के बेटे विवेक वैश्य ने एक आदिवासी युवक की गोली मारकर जान लेने की कोशिश की. इस गोलीकांड मामले में 4 दिन से ज्यादा का वक्त गुजर गया, लेकिन पुलिस अभी तक अभियुक्तों तक पहुंचने में नाकाम रही है. सिंगरौली पुलिस ने फरार आरोपी पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. 


सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य ने कहा कि गोलीकांड के आरोपी पुत्र विवेकानंद वैश्य से उनका कोई लेना देना नहीं है. वह पिछले पांच सालों से उनसे अलग चटका में मकान बनाकर रह रहा था. विधायक ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुये कहा कि लोग कह रहें है कि घटना के बाद विवेकानंद वैश्य एक घंटे तक मोरवा थाने में रहा, तो पुलिस ने उसे क्यों गिरफ्तार नहीं किया? आदिवासी युवक के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए विधायक ने कहा कि जो भी गोलीकांड का दोषी है, उसे सजा मिलेगी. कानून अपना काम कर रहा है, मेरा किसी पर दवाब नही है. बेटा दोषी है तो कानून उसे सजा देगा .


पुलिस पर अभियुक्त को भगाने का आरोप


गौरतलब है कि 3 अगस्त गुरुवार शाम करीब 5 बजे को हुई इस घटना के बाद से अब तक पुलिस ने मामले में कोई प्रोग्रेस नहीं किया है. जिससे पुलिस की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो आरोपी विवेकानंद वैश्य आदिवासी युवक को गोली मारने के बाद मोरवा थाने में एक घंटे तक बैठा रहा, पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने के वजाय आरोपी के सामने नतमस्तक रही. आम लोगों में तो यहां तक चर्चा है कि आरोपी को भगाने में भी पुलिस का ही हाथ है . आरोपी इसके पहले भी कई गोलीकांड को अंजाम दे चुका है .


आरोपी पर दर्ज है कई अपराधिक मामले


मोरवा गोलीकांड के मुख्य आरोपी विधायक पुत्र विवेकानंद वैश्य पर 2019 से लेकर अब तक कुल 7 अपराधिक मामले दर्ज हैं. आरोपी पर SC, ST एक्ट , मारपीट, शासकीय कार्य में बाधा डालने व हत्या का प्रयास जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं, लेकिन रसूख के चलते विधायक पुत्र पर आज तक कठोर कार्यवाही नहीं हुई. यही वजह है कि सत्ता और रसूख के दम पर आरोपी को किसी का डर नही है. आरोपी विवेकानंद एनसीएल कर्मी भी है, लेकिन आज तक एनसीएल के द्वारा भी किसी तरह विभागीय कार्यवाही नहीं की गई. गंभीर मामले दर्ज होने के बाद भी विधायक पुत्र के खिलाफ कार्यवाही न होने से पुलिस और एनसीएल प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं.


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