Singrauli News: इस जगह लगने जा रहा देश का पहला कार्बन कैप्चर प्लांट, मिलेगी प्रदूषण से निजात
दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में शुमार सिंगरौली को प्रदूषण मुक्त करने की कवायद की जा रही है. कार्बन डाइऑक्साइड से राहत के लिए विंध्याचल में देश का पहला कार्बन कैप्चर प्लांट लगने जा रहा है.
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Singrauli Pollution Report: प्रदेश की ऊर्जाधानी के नाम से मशहूर सिंगरौली का नंबर प्रदूषण मामले में देश में पहला है. दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में शुमार (Most Polluted) सिंगरौली (Singrauli) को अब प्रदूषण (Pollution) की समस्या से जल्द निजात मिलने की उम्मीद है. कार्बन डाइऑक्साइड से राहत के लिए विंध्याचल में देश का पहला कार्बन कैप्चर प्लांट (Carbon Capture Plant) स्थापित होने जा रहा है.
विंध्याचल में बनने जा रहा प्लांट तापीय विद्युत परियोजनाओं में देश का पहला होगा. एनटीपीसी (NTPC) मुख्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद अब कार्बन कैप्चर प्लांट परियोजना की कवायद तेज कर दी गई है. कार्बन कैप्चर प्लांट को स्थापित करने में सवा सौ करोड़ से अधिक का बजट खर्च होना बताया जा रहा है.
निजी क्षेत्र की टाटा स्टील जमशेदपुर इकाई में इस तरीके का प्लांट पिछले वर्ष 2021 में सितंबर महीने में शुरू हुआ है. इसके बाद एनटीपीसी ने तापीय विद्युत परियोजनाओं में कार्बन कैप्चर प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है. शुरुआत विंध्याचल की परियोजना से की जा रही है. विंध्याचल की परियोजना सफल होने के बाद दूसरी तापीय विद्युत परियोजनाओं के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी. निजी विद्युत उत्पादक कंपनियों के लिए भी प्लांट स्थापित करना अनिवार्य होगा. वर्तमान में इस तरह का प्लांट देश के किसी भी तापीय विद्युत परियोजनाओं में नहीं है.
प्रदूषण से निजात दिलाने की हो रही तैयारी
ऊर्जाधानी सिंगरौली वायु प्रदूषण के मामले में देश पहले नंबर पर रहता है. कार्बन डाइऑक्साइड के अलावा सल्फर डाइऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है. सल्फर डाइऑक्साइड से राहत के लिए वर्तमान में परियोजना की सभी यूनिटों में एफजीडी (फ्लू गैस डि-सल्फराइजेशन) सिस्टम लग रहा है. अब कॉर्बन डाइऑक्साइड से निजात की कवायद शुरू की गई है. अधिकारियों के मुताबिक सबसे पहले कार्बन कैप्चर प्लांट 13 नंबर यूनिट में लगाया जाएगा. इसके बाद बाकी की अन्य 12 यूनिटों में प्लांट लगाने पर विचार किया जाएगा.
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देश का पहला बनेगा कार्बन कैप्चर प्लांट
अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह से एफजीडी सिस्टम लगाने से सल्फर डाइऑक्साइड जिप्सम में तब्दील हो जाएगा उसी प्रकार कार्बन कैप्चर प्लांट में कार्बन का परिवर्तन मिथेनाल में होगा. कैप्चर प्लांट से हर रोज 10 टन मिथेनाल प्राप्त होगा. मिथेनाल का उपयोग डीजल और कोयला जलाने में किया जा सकेगा.
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